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कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए रोजगार सृजन कर रहीं, आलू की फसल से महिलाओं ने पेश की मिसाल

सैकड़ों लोगों को रोजगार से जोड़ा। लोग कहते किसान दीदी। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए एक कंपनी की स्थापना की गई है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sun, 06 Jan 2019 10:42 AM (IST)Updated: Sun, 06 Jan 2019 10:42 AM (IST)
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए रोजगार सृजन कर रहीं, आलू की फसल से महिलाओं ने पेश की मिसाल
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए रोजगार सृजन कर रहीं, आलू की फसल से महिलाओं ने पेश की मिसाल

मोतिहारी, [संजय कुमार उपाध्याय]। चंपारण में महिलाएं जनसंख्या नियोजन की दिशा में कारगर काम कर रहीं। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए रोजगार सृजन कर रहीं। इससे दर्जनों लोगों को रोजगार मिला है। जीवन में खुशहाली आई है। लोग उन्हें 'किसान दीदी' कहते हैं। पूर्वी चंपारण जिले के हरसिद्धि प्रखंड की सोनबरसा, पानापुर रंजीता, पकडिय़ा, कोटवा व नक्सल प्रभावित मधुबन प्रखंड की कई पंचायतों में महिलाओं को साथ लेकर जीविका दीदी ने 39 एकड़ में आलू की खेती की है।

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   13 एकड़ में बीज और 26 एकड़ में चिप्स वाले आलू हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 16 दिसंबर को चंपारण दौरे के वक्त सोनबरसा में इनका कार्य देख काफी प्रभावित हुए। उन्होंने अनुबंध आधारित खेती के इस मॉडल को सूबे में प्रचारित-प्रसारित करने को कहा।

नए प्रयोग की सफलता पर जोर

कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए एक कंपनी की स्थापना की गई है। इससे जिले की 1650 महिलाओं और 112 समूहों को जोड़ा गया है। इस खेती के जरिए करीब 200 लोगों को रोजगार मिला है। हरसिद्धि प्रखंड के सोनबरसा के किसान ओमप्रकाश स‍िंह कुशवाहा, सुनील कुमार, योगेंद्र महतो, विरेंद्र महतो, प्रमोद प्रसाद, विनोद महतो, झल्लू सहनी और बिजली सहनी बताते हैं कि पहले परंपरागत तरीके से आलू की खेती होती थी।

   लेकिन, समूह में खेती आमदनी बढ़ाने में सहायक साबित होगी। 90 दिनों में आलू की नई प्रजाति की यह फसल तैयार हो जाएगी। उत्पादन बेहतर होगा। ऐसे में हमारा जोर इस प्रयोग की सफलता पर है।

पैदावार बेचने की चिंता नहीं

जीविका दीदी शोभा देवी, सुरेखा देवी, चंदा देवी, कल्पति देवी, गीता और प्रेमशीला कहती हैं, इस खेती से रोजगार मिल रहा। फसल बेचने का भी झंझट नहीं। बीज देने वाली कंपनी ही उचित मूल्य पर खरीदेगी। खेती के लिए संपोषित दो कंपनियों के बीच करार हुआ है। इसके तहत कंपनी जीविका के माध्यम से उत्पादित आलू खरीदेगी। इसके लिए न्यूनतम मूल्य 5.5 रुपये प्रति किलो होगा।

दी जा रही तकनीकी जानकारी

मुख्यमंत्री ने सोनबरसा में जब जीविका और किसान दीदी के इस प्रयोग को देखा तो उन्होंने तत्काल संस्था के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी को कहा कि वे यहां की खेती पर नजर रखें। प्रयोग सफल होने के बाद इसका प्रचार-प्रसार पूरे सूबे में कराएं। यह सुनिश्चित कराएं कि किसी भी स्थिति में आलू की कीमत कम न मिले। अनुबंध आधारित खेती को बढ़ावा देने के लिए टेक्नो सर्व इंडिया की ओर से सभी किसान दीदी को प्रशिक्षण दिया जा रहा।

   उन्हें बताया जा रहा कि कैसे खेती को उद्योग का स्वरूप दिया जा सकता है। इधर पूर्वी चंपारण जीविका के जिला कार्यक्रम प्रबंधक वरुण कुमार ने कहा कि आलू की खेती बेहतर तरीके से की गई है। जिले के कई हिस्से में इसमें महिलाएं लगी हैं। कई जगहों पर आलू की खोदाई हो चुकी है। सभी जगहों की फसल का आकलन कर खेती को मजबूत किया जाएगा।


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