Move to Jagran APP

एमामुल एक साथ कर रहे रोजगार सृजन और पर्यावरण जागरूकता

तुरकौलिया की रघुनाथपुर पंचायत में नर्सरी चलाकर प्रतिदिन 40 लोगों को दे रहे रोजगार. पढ़ाते हैं पौधों की रक्षा करने का पाठ।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 10 Nov 2018 09:58 AM (IST)Updated: Sat, 10 Nov 2018 09:58 AM (IST)
एमामुल एक साथ कर रहे रोजगार सृजन और पर्यावरण जागरूकता
एमामुल एक साथ कर रहे रोजगार सृजन और पर्यावरण जागरूकता

मोतिहारी [शशिभूषण कुमार] । यहां पर्यावरण रक्षा का संकल्प नजर आता है। रोजगार सृजन के सहज उपायों से परिचय होता है। बात शहर के रघुनाथपुर स्थित पौधों की नर्सरी और इसे चलानेवाले एमामुल हक की हो रही है। छठी पास एमामुल ने अपने जीवन के 40 वर्ष पौधों के साथ ही गुजारे हैं। मूल रूप से बेतिया हजारी टोला निवासी एमामुल पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ पौधों के कारोबार से 1993 से जुड़े। उस साल बेतिया में संचालित अपनी पुस्तैनी नर्सरी से उन्होंने काम शुरू किया था। बाद में वे मोतिहारी के तुरकौलिया प्रखंड स्थित रधुनाथपुर पहुंचे और यहीं के होकर रह गए। पौधों के इस कारोबार ने परिवार के दस और 30 बाहरी लोगों को रोजगार दिया। 

loksabha election banner

दो बीघे में फैला कारोबार

एमामुल ने वर्ष 1993 में दो कट़ठा जमीन किराए पर लेकर पौधों का कारोबार शुरू किया। उस समय वे पौधे लाकर बेचते थे। जब पौधों की मांग बढ़ी तो पौधों के लिए जगह कम पडऩे लगी। इस बीच 1995 में चार छह कट़ठा जमीन किराए पर ले कारोबार को छह कट़ठा में विस्तारित किया। इसके बाद स्वयं पौधे तैयार करने लगे। शुरू में जमीन की कमी ने इनके पांव रोके, लेकिन हिम्मत नहीं हारी और तुरकौलिया प्रखंड की रधुनाथपुर पंचायत निवासी बच्चा पांडेय ने स्वेच्छा से अपनी जमीन पौधों के कारोबार के लिए दे दी। अब पौधों का कारोबार दो छह कट़ठा से दो बीघे में फैल गया है। लोगों को रोजगार मिलने लगा है। हर दिन पौधों के लिए क्यारी बनाने के साथ साथ पौधों को सुरक्षित रखने के लिए मजदूर काम करते हैं। 

नर्सरी में तैयार किए जाते पौधे

एमामुल ने स्वयं से पौधा तैयार करने के बारे में विस्तार से जानकारी हासिल करने के लिए कई प्रदेशों के नर्सरी का भ्रमण किया। वे कहते हैं कि उनकी नर्सरी नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड दिल्ली व जिला कृषि कार्यालय से अनुबंधित है। दिल्ली से लेकर जिले के कई अधिकारियों ने इसका निरीक्षण किया है। सरकारी सूची में यह नर्सरी स्टार ग्रेडेड है।

हो चुके हैं सम्मानित

वर्ष 1994 में मुजफ्फरपुर में आयोजित अखिल भारतीय लीची प्रदर्शनी एवं गोष्ठी में, 2007 में राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र द्वारा लीची के पौधा प्रवर्धन एवं पौधशाला प्रबंधन को लेकर व 2010 में जिला उद्यान पंडित प्रतियोगिता में पपीता के पौधों को लेकर एमामुल सम्मानित हो चुके हैं।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.