धीरे-धीरे भयंकर रूप लेता जा रहा ई-कचरा, शहरवासी इससे अनभिज्ञ
नगर निगम के पास भी नहीं है इसके निष्पादन की योजना, शहर से निकलने वाले गिले कचरे से खाद बनाया जा रहा है, आने वाले समय में यह बड़ी समस्या बनने वाली है।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। ई-वेस्ट यानी इलेक्ट्रॉनिक कचरा। महानगरों में वर्षों पहले इसने विकराल समस्या का रूप धारण कर लिया था, अब मुजफ्फरपुर जैसे छोटे शहर इसकी चपेट में आ रहे हैं। उनके लिए यह एक नई समस्या है। इसे सामान्य कूड़ों के साथ जहां-तहां डंप किया जा रहा है, लेकिन इससे होने वाले खतरे से शहरवासी अनभिज्ञ हैं। नगर निगम के पास ई-वेस्ट के निष्पादन की योजना नहीं है।
शहर से निकलने वाले गिले कचरे से खाद बनाया जा रहा है। सूखे कचरे कबाडिय़ों के माध्यम से बेचे जा रहे, लेकिन सूखे कचरों में शामिल इलेक्ट्रॉनिक कचरे को लेेकर निगम कभी गंभीर नहीं हुआ। जबकि आने वाले समय में यह शहर की सबसे बड़ी समस्या बनने वाली है। अब जरूरत है कि इस खतरे की ओर ध्यान दिया जाए। इलेक्ट्रॉनिक प्रदूषण को दूर किया जाए।
इस तरह पहुंचाता है नुकसान
विशेषज्ञ कहते हैं कि इलेक्ट्रॉनिक कूड़ा पर्यावरण में जहर घोलता है। पीने के पानी को विषाक्त बनाने के साथ-साथ बच्चों की सेहत पर भी बुरा असर डालता है। इसके कुप्रभाव से बच्चों में जन्मजात विकलांगता आती है। मछलियों से लेकर वन्य-जीव तक इससे प्रभावित होते हैं। गर्भपात और कैंसर का बड़ा कारक है। कंप्यूटरों में आमतौर पर तांबा, इस्पात, एल्युमिनियम, पीतल और भारी धातुओं जैसे सीसा, कैडमियम तथा चांदी के अलावा बैटरी, कांच और प्लास्टिक वगैरह का इस्तेमाल किया जाता है।
इनमें क्लोरीन एवं ब्रोमीन युक्त पदार्थ, विषैली गैसें, फोटो एक्टिव और जैविक सक्रियता वाले पदार्थ अम्ल और प्लास्टिक होते हैं। हाल ही में पाए गए सबूतों से पता चलता है कि कंप्यूटर की रिसाइक्लिंग का काम करने वालों के खून में बहुत ज्यादा मात्रा में खतरनाक रसायन मौजूद रहते हैं। सेलफोन का चलन बहुत तेजी से हुआ और इसका कूड़ा-कचरा और मुश्किलें बढ़ाएगा।
चिकित्सक डॉ. फिरोजद्दीन फैज ने कहा कि कंप्यूटरों में आमतौर पर भारी धातुओं जैसे सीसा, कैडमियम तथा चांदी के अलावा बैटरी, कांच और प्लास्टिक वगैरह का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें क्लोरीन एवं ब्रोमीन युक्त पदार्थ, विषैली गैसें, फोटो एक्टिव और जैविक सक्रियता वाले पदार्थ अम्ल और प्लास्टिक आदि होते हैं। कम्प्यूटर की रिसाइक्लिंग का काम करने वालों के खून में बहुत ज्यादा मात्रा में खतरनाक रसायन मौजूद रहते हैं।
चपेट में आकर लोग गंभीर बीमारी के शिकार हो सकते है। महापौर सुरेश कुमार ने कहा कि इस ओर अब तक ध्यान नहीं गया। सही में यह बड़ी समस्या है। इसके निष्पादन को अधिकारियों से बातचीत की जाएगी। ई-कचरा के संग्रहण को अलग से व्यवस्था की जाएगी। साथ ही ई-कचरा से निष्पादन के उपाए भी किए जाएंगे।