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E.books बदले समय की मांग, बावजूद किताबों की महत्ता सदैव रहेगी बरकरार

आरडीएस कॉलेज में आयोजित सात दिवसीय राष्ट्रीय पुस्तक मेले मेंयुवा विद्यार्थी और प्रबुद्ध वर्ग अपने पसंद की पुस्तकों की खरीदारी करते दिख रहे हैं।

By Ajit KumarEdited By: Published: Mon, 02 Mar 2020 11:53 AM (IST)Updated: Mon, 02 Mar 2020 11:53 AM (IST)
E.books बदले समय की मांग, बावजूद किताबों की महत्ता सदैव रहेगी बरकरार
E.books बदले समय की मांग, बावजूद किताबों की महत्ता सदैव रहेगी बरकरार

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। किताबें शुरू से ही समाज के नवनिर्माण में अहम भूमिका निभाती हैं। किताब को समाज का दर्पण माना जाता है। विचारों में परिवर्तन और बौद्धिक क्षमता का विकास तथा ज्ञान और विचारों को नई दिशा देती है। एक ओर तेजी से इंटरनेट और ई.बुक्स खासकर युवाओं को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर किताबों से भी प्रबुद्ध वर्ग का खास स्नेह है। इसका उदाहरण आरडीएस कॉलेज में आयोजित सात दिवसीय राष्ट्रीय पुस्तक मेले में देखने को मिला। युवा, विद्यार्थी और प्रबुद्ध वर्ग अपने पसंद की पुस्तकों की खरीदारी करते दिखे।

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गहन अध्ययन के लिए किताबें जरूरी


पुस्तक मेले में आईं पूजा बताती हैं कि जब हमें किसी विषय की जानकारी लेनी होती है तो वर्तमान समय में हम तुरंत इंटरनेट का सहारा लेते हैं, लेकिन यहां विस्तृत और तथ्यपरक जानकारी नहीं मिल पाती। इसके लिए हमें बुक्स का अध्ययन करना पड़ता है। किताबों को अध्ययन करने का अलग ही आनंद है।

ज्ञान की खोज में पुस्तकों का योगदान अहम


रितु कुमारी ने बताया कि सामाजिक, राजनैतिक, एवं सांस्कृतिक विकास तथा ज्ञान की खोज में पुस्तकों का महत्वपूर्ण योगदान है। इंटरनेट या ई.बुक्स पर हम एकाग्रता पूर्वक अध्ययन नहीं कर पाते। किताब हमें ज्ञान के साथ-साथ अपडेट भी रखता है।

पीढ़ी को साथ जोड़ती हैं पुस्तकें


संजीव कुमार बताते हैं कि पुस्तकें समाज की ही नहीं राष्ट्र की धरोहर भी हैं। रामायण, महाभारत, की रचनाएं समाज को जोड़ती हैं। पुस्तकें लेखकों, साहित्यकारों के विचारों को जीवित रखती हैं। साथ ही ये पीढ़ी दर पीढ़ी को भी साथ लेकर चलती है। इसका दूसरा कोई विकल्प नहीं है।

इंटरनेट पर होता भटकाव


मोनी ने बताया कि इंटरनेट पर आज सभी जानकारी मिल जाती हैं, लेकिन जब हम ई.बुक्स या इंटरनेट पर अध्ययन कर रहे होते हैं तो विज्ञापन और अन्य कारणों से ध्यान बंटता है। किताबें हमें पढ़ाई के साथ सुकून देती हैं।

अध्ययन के लिए पुस्तक जरूरी


स्नेहा ने बताया कि इंटरनेट पर दी गई जानकारियां कई बार भ्रामक भी साबित हो जाती हैं। जबकि, पुस्तकें शुरू से ही दोस्त जैसी रहीं हैं। आज के समय में इंटरनेट का प्रयोग या ई.बुक्स भी जरूरी है पर पुस्तकों की महत्ता सदैव बरकरार रहेगी।

धार्मिक और आध्यात्मिक पुस्तकों की रही डिमांड

पुस्तक मेले में विभिन्न स्टॉलों पर लगीं धर्म और आध्यात्म की पुस्तकों ने लोगों को खूब रिझाया। शांति संदेश पुस्तकालय के स्टॉल पर 96 पृष्ठ का कुरआन का हिंदी अनुवाद तीस रुपये में मिल रहा है। वहीं ओशो दर्शन के स्टॉल पुस्तक प्रमियों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

सर्वोदय बुक स्टॉल पर गीताप्रेस गोरखपुर की काफी पुस्तकें उपलब्ध हैं। समय प्रकाशन के स्टॉल पर बच्चों के मन में गीता को लेकर उठने वाले सभी सवालों को हल करने वाली कई पुस्तकें उपलब्ध है। अन्य स्टॉल पर भी पुस्तकें लोगों को आकर्षित कर रही हैं। वहीं दूसरी ओर दोपहर में मेला परिसर में बच्चों के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति भी दी जा रही है।  


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