सरकार की अति महत्वकांक्षी योजना पर पलीता लगा रहे अधिकारी, मुजफ्फरपुर में बढ़ रहे नशेड़ी, नशा मुक्ति केंद्र पर लटका ताला
Muzaffarpur News नशा मुक्ति केंद्र में चल रहा कोरोना जांच केंद्र। सदर अस्पताल स्थित नशा मुक्ति केंद्र पर छह साल में आए मात्र 50 मरीज। निजी सेंटरों पर लोग जा रहे सरकारी सेंटर उपेक्षित। नशा प्रभावित व्यक्तियों की पहचान हुई लेकिन विभाग ने नहीं ली उनकी सुध।
मुजफ्फरपुर, {अमरेंद्र तिवारी}। सरकार की अति महत्वकांक्षी योजना शराबबंदी पर स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी पलीता लगा रहे हैं। नशा मुक्ति केंद्र्र पर ताला लटका है। वहां कोरोना जांच केंद्र संचालित किया जा रहा है। तालाबंदी तब है जब जिले में नशा सेवन करने वाले की संख्या लगातार बढ़ रही है। नशा मुक्ति के निजी सेंटरों पर लोग फीस देकर इलाज करा रहे हैं, जबकि सरकारी सेंटर पर वतानुकुलित कक्ष, टीवी से लेकर सारी सुविधाएं रहते हुए भी वार्ड बंद हैं तथा आउटडोर को सेंटर से हटा दिया गया है। एक माह पहले यहां चिकित्सक व कर्मियों की पदस्थापना की गई थी। अभी सबको हटा दिया गया। जिले में वर्ष 2016 में शराबबंदी से पहले 13,376 नशा प्रभावित व्यक्तियों की पहचान हुई थी, लेकिन विभाग ने इनकी सुध नहीं ली।
नशा मुक्ति केंद्र पर पहले थीं सुविधाएं, अब ताला
पूर्व में सरकारी नशा मुक्ति केंद्र पर 24 घंटे जांच व इलाज की सुविधा थी। टीवी सेट, वातानुकुलित कक्ष, समय पर भोजन तथा काउंसिलिंग की सुविधा बहाल थी। आज वार्ड में ताला लटका हुआ है। उसके बरामदे पर कोरोना जांच केंद्र चलाया जा रहा है।
छह साल में 50 मरीज ही भर्ती
सदर अस्पताल में एक अप्रैल 2016 को नशा मुक्ति केंद्र शुरू किया गया था। पिछले छह सालों में यहां आउटडोर में 713 मरीजों को ही देखा जा सका है। इनमें 50 मरीजों का यहां भर्ती कर इलाज हुआ। वहीं शुक्ला रोड स्थित निजी दाता नशा मुक्ति केंद्र में पांच साल में 1,454 मरीज भर्ती हुए हैं। इसके संचालक तनवीर आलम ने कहा कि उनके यहां 35 बेड हैं जो सालों भर भरे रहते हैं। यहां भर्ती मरीजों को आवासीय व चिकित्सकीय सेवा के लिए 12 हजार रुपये शुल्क के रूप में देने होते हैं।
सिविल सर्जन डा. यूसी शर्मा ने बताया कि, नशा मुक्ति केंद्र का आउटडोर अभी एनसीडी सेल से जुड गया है। नशा मुक्ति केंद्र को क्यों बंद किया गया, इसकी समीक्षा होगी। जो जवाबदेह होंगे उनपर एक्शन लिया जाएगा।