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पीने के पानी को लेकर त्राहिमाम, लंबे समय से जल संकट से जूझ रहे लोग

बहलखाना चकवासू अंबेदकर नगर समेत कई बस्तियों में पानी को लेकर मारा-मारी। एक बाल्टी पानी के लिए बस्ती के लोगों को करना पड़ता दिन भर इंतजार।

By Ajit KumarEdited By: Published: Tue, 21 May 2019 10:48 AM (IST)Updated: Tue, 21 May 2019 10:48 AM (IST)
पीने के पानी को लेकर त्राहिमाम, लंबे समय से जल संकट से जूझ रहे लोग

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। निगम के दो दर्जन स्लम बस्तियों में पानी को लेकर त्राहिमाम की स्थिति बनी हुई है। एक-एक बाल्टी पानी के लिए बस्ती के लोगों को दिन भर इंतजार करना पड़ता है। बहलखाना स्लम बस्ती में दो सौ से अधिक परिवार रहते हैं। किसी के घर में भी नल नहीं है। पूरी बस्ती के लोग निगम के एकमात्र नल से पानी लेते हैं। पीने के पानी के लेकर नहाने एवं कपड़ा साफ करने तक का काम उसी एकमात्र नल के पानी से होता है। ऐसे में वहां पानी के लिए रोजाना मारपीट एवं हो-हंगामा होता है।

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  हाल ही में वहां मिनी पंप लगाया गया है लेकिन बस्ती के लोगों के घरों तक पानी पहुंचने को पाइन लाइन नहीं होने के कारण उसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। चकवासू निवासी सुनीता देवी कहती हैं कि बस्ते के लोग लंबे समय से जल संकट से जूझ रहे हैं, पर किसी ने संज्ञान नहीं लिया। वहीं चकवासू स्लम बस्ती के लोगों को भी जलसंकट का सामना करना पड़ता है। बीत वर्ष बस्ती के लोगों ने पानी की मांग को लेकर सड़क जाम कर विरोध प्रदर्शन किया था।

  उसके बाद वहां मिनी पंप लगाया गया लेकिन यहां भी लोगों के घरों तक पानी नहीं पहुंच पाया है। शहर की अधिकतर स्लम बस्तियों का यही हाल है। अधिकतर बस्तियों में रहने वाले पूरी तरह से निगम के जलापूर्ति व्यवस्था पर निर्भर हैं। निगम के नलों में पानी आया तो ठीक नहीं तो ठेला, रिक्शा एवं साइकिल से पानी ढोकर लाना पड़ता है।

पोखर-तालाब के सूखने से गिरा भू-जल स्तर

शहर के अधिकतर पोखर-तालाब सूख चुके हैं। इसका खामियाजा जल संकट के रूप में शहरवासियों को भुगतना पड़ रहा है। पोखरों के सूखने से शहर में भू-जल स्तर में भारी गिरावट हुआ है। कई इलाकों में तो जल स्तर 35 से 40 फीट तक नीचे जला गया है। शहर में पहले दो दर्जन से अधिक पोखर व तालाब थे। वर्षा जल संजय के कारण सालों पर पोखरों में पानी भरा रहता था। इससे पोखरों के आसपास का जल स्तर सालों पर रीचार्ज होते रहता था और लोगों को जल संकट का सामना नहीं करना पड़ता था।

  मोहित कुमार कहते हैं कि पहले शहर के पूर्वी भाग का भू-जल स्तर कभी नहीं गिरता था। महाराजी पोखर, तीन पोखरिया, कन्हौली मठ पोखर, निगम पोखर, गोशाला पोखर के पानी से जलस्तर सालों पर बना रहता था। लेकिन जब से सभी पोखरों अस्तित्व समाप्त हुआ, जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई। वहीं घिरनी पोखर के सूखने से जवाहर लाल रोड एवं कल्याणी इलाके में जल संकट के हालात पैदा हुए।

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