ऑटो गार्बेज खरीद घोटाला : तत्कालीन प्रभारी नगर आयुक्त डॉ. रंगनाथ चौधरी को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत
तत्कालीन नगर आयुक्त रमेश प्रसाद रंजन की गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक। मेयर सहित दस बनाए गए आरोपित निगरानी थाना में दर्ज किया गया था केस।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। ऑटो गार्बेज खरीद घोटाला के आरोपित तत्कालीन प्रभारी नगर आयुक्त व अपर समाहर्ता डॉ.रंगनाथ चौधरी को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिल गई है। विशेष न्यायालय (निगरानी) से अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज होने के बाद उनकी ओर से हाईकोर्ट में अपील याचिका दाखिल की गई थी। इसकी सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने इसे स्वीकार कर लिया है। हाईकोर्ट ने उन्हें 30 दिनों के अंदर निचली विशेष न्यायालय (निगरानी) में आत्मसमर्पण कर जमानत का बंध पत्र दाखिल करने का आदेश दिया है। हालांकि उन्होंने अभी तक निचली अदालत में आत्मसमर्पण नहीं किया है। वे सेवानिवृत हो चुके हैं।
तत्कालीन नगर आयुक्त की गिरफ्तारी पर रोक
घोटाला के एक अन्य आरोपित तत्कालीन नगर आयुक्त रमेश प्रसाद रंजन की गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। यह रोक उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई पूरे होने तक रहेगी। विशेष न्यायालय (निगरानी) से अपनी अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज होने पर उन्होंने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में जमानत की अपील याचिका दाखिल कर रखी है।
अग्रिम जमानत की अर्जी पर सुनवाई मंगलवार को
घोटाला के आरोपित नगर निगम के जूनियर इंजीनियर भरत लाल चौधरी की अग्रिम जमानत की अर्जी पर विशेष न्यायालय (निगरानी) में मंगलवार को होगी। निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने उसके खिलाफ विशेष कोर्ट में मेमो ऑफ एविडेंस (साक्ष्य) सौंप चुकी है। इसमें उसके विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य होने का दावा किया गया है।
मेयर सहित दस आरोपित
इस मामले में जांच के बाद मामला प्रथम दृष्टया सत्य पाए जाने पर मेयर सुरेश कुमार, तत्कालीन नगर आयुक्त रमेश रंजन प्रसाद, तत्कालीन प्रभारी नगर आयुक्त और अपर समाहर्ता डॉ. रंगनाथ चौधरी सहायक अभियंता महेंद्र सिंह, आपूर्तिकर्ता मोहन हिम्मत सिंगा सहित दस आरोपितों के खिलाफ निगरानी थाने में केस दर्ज कराई थी। पांचों आरोपितों की अग्रिम जमानत की अर्जी विशेष न्यायालय (निगरानी) ने खारिज कर रखी है।
यह है मामला
वर्ष 2017 में नगर निगम की सशक्त स्थायी समिति ने शहर की सफाई के लिए 50 गार्बेज टिपर खरीदने का प्रस्ताव पारित किया था। निगम की ओर से पिछले साल नौ सितंबर को टेंडर आमंत्रित किया गया। इसमें तीन फर्मों ने भाग लिया। माड़ीपुर के तिरहुत ऑटोमोबाइल, कुरुक्षेत्र हरियाणा के न्यू भारत इंजीनियङ्क्षरग सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड व पाटलिपुत्रा पटना के मे. मौर्या मोटर्स प्राइवेट लिमिटेड शामिल थे। टेंडर में सबसे कम मूल्य दर्शाने वाले फर्म को दरकिनार कर मे. मौर्या मोटर्स को आपूर्ति का आदेश दिया गया। इसी के खिलाफ तिरहुत ऑटोमोबाइल के प्रोपराइटर की ओर से निगरानी अन्वेषण ब्यूरो में शिकायत की गई थी।