Samastipur: मौसम के साथ-साथ प्रदूषण की भी जानकारी देगा डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय
Dr. Rajendra Prasad Central Agricultural University वायुमंडल में प्रदूषण की जानकारी देगा वायु की गुणवत्ता सूचकांक निगरानी यंत्र। अब मौसम की जानकारी के साथ - साथ उत्तर बिहार में वायुमंडल में फैले प्रदूषण की जानकारी भी अप टू डेट कराएगा।
पूसा (समस्तीपुर), जागरण संवाददाता। डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा अब मौसम की जानकारी के साथ-साथ उत्तर बिहार में वायुमंडल में फैले प्रदूषण की जानकारी भी अप टू डेट कराएगा। कुलपति डॉ. आरसी श्रीवास्तव उत्तर बिहार की आम जनता एवं किसानों के लिए नए साल में नया तोहफा देंगे। इसका शुभारंभ एक जनवरी को होगा। मौसम वैज्ञानिक डॉ. अब्दुल सत्तार का बताना है कि कुलपति के प्रयास का यह नतीजा है कि अब हम घर बैठे मौसम के साथ- साथ प्रदूषण की जानकारी भी लेंगे एवं अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहेंगे। प्रदूषण हमें स्वस्थ जीवन के साथ साथ अच्छे फसल उत्पादन के भी परिणाम बताएंगे।
उन्होंने कहा कि प्रदूषण पूरे देश के लिए एक चुनौती बना हुआ है। इसे हम सभी को मिलकर दूर करने की आवश्यकता है। प्रदूषण फैलने के मुख्य कारण, चिमनी से निकलने वाले धुआं, अत्यधिक वाहनों की संख्या, औद्योगिक क्षेत्र के कारखानों से निकलने वाली जहरीली धुआं एवं रसायन पदार्थों से दूषित हो रहा वायुमंडल, किसानों के द्वारा पराली जलाने सहित अन्य कारणों से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। इस यंत्र के माध्यम से हवा में प्रदूषण की मात्रा मापी जा सकती है। जिसके अनुसार मानव जीवन में वायु से संबंधित होने वाली बीमारियों का भी पता लगाया जा सकता है।
यह यंत्र मुख्यता तीन तरह की जानकारी देगा। जिसमें पीएम 2.5 एवं पीएम 10 तथा हवा का वर्तमान तापमान क्या है। पी एम 2.5 माइक्रोमीटर से भी कम जो वायुमंडल में हैं, उसका 3 प्रतिशत हवा में फैले कण का भी यह जानकारी देगा। वायु गुणवत्ता सूचकांक निगरानी यंत्र की रीडिंग 50 सूचकांक से 100 के बीच रीडिंग दिखा रहा है तो वायु की गुणवत्ता संतोषजनक मानी जा सकती है। लेकिन यह मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए असामान्य है। वही 100 से 150 रीडिंग दिखा रहा है तो सभी वर्गों के लिए संवेदनशील माना जाएगा। 150 से 200, फिर 200 से 300 के बीच वायुमंडल में अगर प्रदूषण पाया गया तो यह पूरी आबादी के लिए परेशानी को दर्शाता है। इसी तरह प्रदूषण का रीडिंग आगे बढ़ता जाएगा, खतरा उतना ही बढ़ता जाएगा। हमें इस यंत्र के माध्यम से प्रदूषण से होने वाले विभिन्न बीमारियों का पता लगाया जा सकता है, जिस पर चिकित्सक अपना अनुसंधान कर सकते हैं।