Flood : रघई पुल के एक तरफ 'राहत', दूसरी ओर भोजन पर आफत Muzaffarpur News
कई दिनों से चूड़ा खाकर सो रहे मधुबन कांटी के दर्जनों बाढ़ पीडि़त। पॉलीथिन का भी वितरण नहीं राहत राशि के लिए बस आवेदन ही जमा।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। बूढ़ी गंडक के जलस्तर में वृद्धि हुई तो मीनापुर के रघई व मधुबन कांटी गांवों के कई घर इसकी चपेट में आ गए। ये दोनों गांव बूढ़ी गंडक पर बने पुल के इस पार व उस पार हैं। बाढ़ की चपेट में आने के बाद रघई गांव में प्रशासन ने राहत शिविर खोला। यहां सुबह-शाम का भोजन व जलदूत से बेहतर पेयजल की व्यवस्था है। इस गांव में पॉलीथिन शीट्स का भी वितरण किया गया। मगर, दूसरी ओर मधुबन कांटी में राहत के नाम पर अब तक कुछ भी नहीं बंटा। इससे यहां के लोगों में आक्रोश है। खासकर पास के गांव में सभी तरह की राहत मिलने से उनका आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
पिछली बार आई बाढ़ की भी राहत राशि नहीं मिली
गांव के जगदीश सहनी का घर उनमें शामिल है जहां सबसे पहले पानी प्रवेश करता है। वर्ष 2017 के बाढ़ में भी उनका घर डूब गया था। मगर, राहत राशि नहीं मिली। गांव के रंजीत सहनी, अशर्फी ठाकुर, देवकल सहनी कहते हैं कि यहां से खाने के लिए रघई जाना संभव नहीं। दूरी दो से तीन किमी है। वहीं दूसरे गांव में जाना अच्छा नहीं लगता। पिछली बार मधुबन कांटी में ही राहत शिविर लगा था। मगर, इस बार कोई व्यवस्था नहीं है। कई दिनों से लोग चूड़ा खाकर रह रहे हैं।
इधर, कुछ पानी घटा है। मगर, यह सूचना मिलने पर कि रात से पानी बढ़ेगा इनमें दहशत है। लोगों ने सामान पहले ही गांव के पक्का घर वालों के यहां रख दिया है। यहां वार्ड चार व छह में अधिक घर प्रभावित हैं। पीडि़त लोगों ने आवेदन जमा किया है। अब तक कोई राहत पाने वाले ग्रामीणों को छह हजार रुपये का इंतजार है।
इस बारे में अपर समाहर्ता, आपदा प्रबंधन अतुल कुमार वर्मा ने कहा कि बाढ़ की स्थिति को देखकर इस गांव में भी राहत की व्यवस्था की जाएगी।