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बाढ़ में गुम हो गई बाजार की रौनक, 10 दिनों से व्यवसाय पूरी तरह ठप Muzaffarpur News

प्रभावित इलाकों में सैलाब में बह गईं सभी दुकानें कई जगह अवशेष भी न बचा। अब परिवार के भरण-पोषण पर भी संकट।

By Ajit KumarEdited By: Published: Mon, 22 Jul 2019 09:54 AM (IST)Updated: Mon, 22 Jul 2019 09:54 AM (IST)
बाढ़ में गुम हो गई बाजार की रौनक, 10 दिनों से व्यवसाय पूरी तरह ठप Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर, [धीरेंद्र कुमार शर्मा]। बाढ़ क्या आई, व्यवसाय को भी चौपट कर दिया। जि‍ले के कई व्यावसायिक केंद्र तबाह हो गए। इसी में एक कटरा प्रखंड का बकुची चौक है। इसकी रौनक भी खत्म हो गई है। रात-दिन गुलजार रहने वाले चौक पर आज वीरानगी छाई हुई है। पानी के सैलाब का कहर इस कदर टूटा कि सारे दुकान बह गए। बसघटृा पंचायत का बकुची कई मायने में अलग पहचान रखता है।

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तीन जिलों को जोडऩे वाली सड़क

 बकुची चौक की महत्ता इस बात को लेकर बढ़ जाती है कि तीन जिले को जोडऩे वाली सड़क यहां मिलती है। क्षेत्र के लोगों को सीतामढ़ी, दरभंगा या मुजफ्फरपुर जाने के लिए यहीं से गाडिय़ां पकडऩी होती है। इसलिए कल तक यह चौक लोगों की भीड़ से भरा रहता था। बिजली की रोशनी रात-दिन के फासले को मिटा देती थी। आज मातमी सन्नाटा-सा पसर गया है। यह एक महत्वपूर्ण व्यवसायिक केंद्र बन गया था जहां सैकड़ों दुकानें थीं। लोग रोजमर्रे का सामान खरीदने या अपने संबंधियों को बस पकड़ाने के लिए यहीं आया करते थे।

दुकानों का अवशेष न रहा

इस लिहाज से यहां नाश्ता- भोजन, चाय-पान, किराना दुकानों के अलावा बाइक गैरेज आदि का धंधा खूब फल-फूल रहा था। लगभग सौ परिवारों की आजीविका जुड़ी थी। दिन भर की कमाई के सहारे रात की रोटी पकती थी। किन्तु बाढ़ ने उनकी खुशियां लील ली। जितनी भी दुकानें थीं, फूस या काठ की गुमटी में चलती थी। प्रलयंकारी बाढ़ ने ऐसी तबाही मचाई कि कुछ भी अवशेष न बचा।

दुकानदारों की स्थिति खराब

 व्यवसायी भाग्य नारायण साह की दो दुकानें थीं। उन्होंने बताया कि दुकान की आमदनी से ही पूरे परिवार का भरण-पोषण होता था। 10 दिनों से आमदनी बंद है। दुकान की पूंजी बाढ़ में बह गई। आगे दिन कैसे कटेगा, भगवान ही जानें। यहीं दुकान थी धनेश्वर साह की। दिन-रात लोगों से भरी रहती थी। आज वीरानगी है। दुकान का नामोनिशान न बचा। विनोद साह की चाय नाश्ता की दुकान भी नहीं बची। वे बताते हैं कि हमलोग निम्नवर्गीय दुकानदार हैं। प्रतिदिन की कमाई से परिवार का खर्च चलता था, लेकिन बाढ़ ने सब कुछ छीन लिया। अब दाने- दाने को मोहताज हैं।

सड़कें हो गईं जर्जर

 बकुची चौक के एक दर्जन ऑटो चालक दिन भर की कमाई से आराम की जिंदगी जीते थे। लेकिन बाढ़ आने के साथ ही उनका धंधा बंद हो गया। निकट भविष्य में सड़कों के चालू होने की उम्मीद भी नहीं दिखती। ऑटो चालक महेशी भगत ने बताया कि पानी भरने से मार्ग अवरुद्ध हो गए। कई जगह सड़कों में गड्ढा हो गया जिनका बनना कठिन जान पड़ता है। ऐसे मे भोजन के लाले पड़ गए हैं। मन्नू भगत, प्रकाश पासवान आदि ने अपनी दास्तान इसी तरह बयां की। बकुची के 90 फीसद किसान साग-सब्जी उत्पादक हैं। उनकी गृहस्थी इसी खेती के सहारे चलती थी, जो बाढ़ की भेंट चढ़ गई।

खेती हो गई नष्ट

जहां तक नजर जाती है सैलाब ही सैलाब नजर आता है। सारी खेती पानी मे बह गई। किसान श्याम महतो, मखन महतो, हरि महतो आदि ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि सब पानी की धारा के साथ बह गया। हमलोग बैंक से लोन लेकर प्रतिवर्ष उत्तम खेती करते हैं जिसमें खाद-बीज और कीटनाशक का प्रयोग अनिवार्य रूप से होता है। मौसम की कमाई से ही बैंक का लोन अदा करके अपनी गृहस्थी चलाते हैं। लेकिन इस बार कमाई का मौसम आते ही आघात लग गया। कर्ज का बोझ चढ़ गया तो दूसरी तरफ आजीविका का साधन समाप्त हो गया।  


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