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East Champaran: रक्‍सौल में दिव्यांग भिक्षाटन नहीं मेहनत कर चला रहे घर परिवार

East Champaran News भारत-नेपाल सीमा पर दिव्यांगता वरदान साबित हो रहा है। सीमा के सुरक्षा के लिए और राजस्व चोरी यानि तस्करी रोकने के लिए जम्बों जेट प्रशासन की तैनाती की गई है। यहां द‍िव्‍यांगों को प्रतिदिन पांच सौ से सात सौ रूपए मिलती है मजदूरी।

By Murari KumarEdited By: Published: Wed, 13 Jan 2021 04:48 PM (IST)Updated: Wed, 13 Jan 2021 04:48 PM (IST)
East Champaran: रक्‍सौल में दिव्यांग भिक्षाटन नहीं मेहनत कर चला रहे घर परिवार
रक्सौल स्टेशन रोड के रास्तें सीमावर्ती पनटोका पंचायत बार्डर पिलर 393 की ओर जाते दिव्यांग ओर उन्हें सहियोग करता कारीबारी

रक्सौल (पूर्वी चंपारण), जासं। भारत-नेपाल सीमा पर दिव्यांगता वरदान साबित हो रहा है। सीमा के सुरक्षा के लिए और राजस्व चोरी यानि तस्करी रोकने के लिए जम्बों जेट प्रशासन की तैनाती की गई है। इसके बावजूद तस्करी का कारोबार जारी है। यूं कहे कि सुरक्षा बल डाल-डाल तो तस्कर पात-पात चल रहे है। तस्करी कारोबार से जुड़े माफिया इन दिनों दिव्यांग युवकों को बतौर कैरियर उपयोग कर रहे है। इसकी बानगी शहर के विभिन्न चौक-चौराहों पर देखने को मिलता है। सकारात्मक पहलू ये है कि दिव्यांग भिक्षाटन नहीं कर अपने मेहनत यानि कैरियर के रूप में कार्य कर घर परिवार चला रहे है। दिव्यांग ट्राई साइकिल के तहखाने दैनिक जीवन के उपयोग में आने वाले सामानों को लेकर भारत से नेपाल और नेपाल से भारत लाते है। जिसके लिए उन्हें प्रतिदिन पांच सौ से सात सौ रूपए मजदूरी मिलती है। सुरक्षाकर्मी जब भी दिव्यांगों को हिरासत में लेने का प्रयास करते है या तस्करी का सामान जब्त करने पहुंचते है। तो उनकी मजबूरी देख दया भाव में आ जाते है। स्थानीय लोग भी दिव्यांगों के पक्ष में खड़े हो जाते है। जिसे मजबूर होकर सुरक्षाकर्मियों को छोड़ना पड़ता है। 

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कितने दिव्यांग इस कारोबार से है जुड़े 

भारत-नेपाल सीमा के प्रमुख शहर रक्सौल में बेतिया, मोतिहारी, मुजफ्फरपुर जिले के विभिन्न प्रखंडों के अलावा पर्सा, बारा जिला नेपाल के करीब तीन दर्जन से अधिक दिव्यांग तस्करों के कैरियर के रूप में कार्य कर रहे है। उक्त दिव्यांग ट्राई साइकिल को लेकर दिल्ली-काठमांडू को जोड़ने वाले ट्रांसपोर्ट कालोनी, स्टेशन रोड़, बैंक रोड, पोस्ट आफिस रोड आदि मुख्य बाजार में ट्राई साइकिल के अंदर बनाए गए बॉक्स में तस्करी का सामान रखते और ले जाते दिखाई देते है।दिव्यांगों की संख्या बड़ी है। ट्राई साइकिल भी यत्र-तत्र देखे जा सकते है। दिव्यांग लोग ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिष्ठान का संचालन करते है या फिर फेरी लगाकर सामानों को बिक्री करते है। यह जांच का विषय है। तस्करी रोकने के लिए पुलिसकर्मियों के अलावा अन्य सुरक्षा एजेंसिया भी सीमा पर कार्य करती है, उससे समन्वय स्थापित कर तस्करी रोकने का प्रयास किया जाता है। राजस्व चोरी यानि तस्करी राष्ट्रहित में नहीं है।


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