एसकेएमसीएच में अवांछित गतिविधियों पर नजर रखेंगे विभाग Muzaffarpur News
इस तरह की गतिविधियों के लिए विभाग के प्रधान के साथ कर्मी होंगे जिम्मेदार। इसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव समेत अन्य कई अधिकारी को दी गई है।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। श्रीकृष्ण चिकित्सा महाविद्यालय परिसर की जमीन का उपयोग करनेवाले विभागों की जिम्मेदारी देखरेख की भी है। उनके निकट जमीन का अतिक्रमण, गैर कानूनी गतिविधियां या नियम विरुद्ध कोई कार्यकलाप होता है तो इसके जिम्मेदार विभाग के प्रधान के साथ वहां के कर्मी होंगे। इसकी सूचना मेडिकल कॉलेज की जमीन पर स्थित बिजली बोर्ड, वन विभाग, टाटा मेमोरियल अस्पताल, बैंक ऑफ बड़ौदा, पोस्ट ऑफिस एवं अन्य कार्यालय जो संचालित हो रहे, वहां दी गई है। इस आशय की सूचना स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव, तिरहुत प्रमंडल के आयुक्त एवं जिलाधिकारी समेत अन्य कई अधिकारियों को भी दी गई है।
वन विभाग में वर्षों से शवों का हो रहा दाह-संस्कार
एसकेएमसीएच परिसर स्थित वन विभाग की जो जमीन टाटा मेमोरियल अस्पताल को सौंपी गई है, वहां लावारिश अधजला शव देखा गया। खबर प्रकाशित होते ही प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर कॉलेज प्रशासन में हड़कंप है। इससे बचने के लिए सभी एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे। जबकि, विगत कई वर्षों से वन विभाग के पूर्वी भाग में लावारिस शवों को जलाया जाता रहा है।
एफएमटी विभाग की उदासीनता
एसकेएमसीएच के चिकित्सक व कर्मियों की मानें तो यह मामला एफएमटी विभाग की उदासीनता से जुड़ा है। नया पोस्टमार्टम हाउस बनने के बाद पुराने में लावारिस शवों को रखा जाने लगा। सूत्रों की मानें तो इन शवों का चिकित्सक पोस्टमार्टम भी नहीं करते, पुलिस द्वारा बनाए गए मृत्यु समीक्षा पत्र के आधार पर रिपोर्ट बना देते हैं। इसके कारण कक्ष में लावारिस शव महीनों सड़ते-गलते रहते हैं।
वर्ष 2018 में 100 शवों का दाह-संस्कार
एसकेएमसीएच की रोगी कल्याण समिति से वर्ष 2018 में 100 शवों के दाह-संस्कार के लिए पुलिस को दो लाख रुपये उपलब्ध कराए गए। वहीं, वर्ष 2019 के फरवरी में 16 शवों के लिए 32 हजार रुपये एवं जून में 19 शवों के लिए 38 हजार रुपये पुलिस को उपलब्ध कराए गए। पुलिस का कहना है कि एफएमटी विभाग द्वारा एक-एक बार में 16 एवं 19 शवों की सूची क्यों सौंपी जा रही थी। विभाग तीन दिन बाद क्यों नहीं सौंप रहा था।
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