...यहां कौवा पूजन के साथ होती है दीपावली की शुरुआत, जानिए क्या है परंपरा West Champaran News
नेपाल में काग तिहार के साथ परंपरा की शुरूआत कुत्ते गाय बैल आदि की भी होती है पूजा। जानवरों के प्रति प्रेम दर्शाने वाले तिहार त्योहार की शुरुआत धनतेरस से हो जाती है।
मुजफ्फरपुर जेएनएन। पड़ोसी देश नेपाल में दीपावली को लेकर जोर-शोर से तैयारी चल रही है। यह त्योहार नेपाल में पांच दिनों तक तिहार (पर्व) के रूप में मनाया जाता है। यहां इस त्योहार को यमपंचक भी कहा जाता है। नेपाल में तिहार पर्व पर कुत्तों के अलावा कई अन्य जानवरों की भी पूजा की परंपरा है। इसके साथ कौए, गाय व बैलों की पूजा की भी परंपरा है। जानवरों के प्रति प्रेम दर्शाने वाले तिहार त्योहार की शुरुआत धनतेरस से हो जाती है। पहले दिन त्रयोदशी को 'काग तिहार' पर यमराज के दूत के रूप में कौए का पूजन होता है।
जिसमें घरों के छतों पर रख कर मिष्ठान और स्वादिष्ट भोज कराने की परम्परा है। दूसरे दिन चर्तुदशी को 'कुकुर तिहार' पर्व पर भगवान भैरव के प्रतिरुप कुत्ते की पूजा लोग करते हैं। इस बावत त्रिवेणी चौकी इंचार्ज कृष्ण साह ने बताया कि इस दिन कुत्तों के सिर पर लाल रोली लगा कर फूलों की माला पहनाते हैं व मिष्ठान का भोग लगता है।
विभिन्न कार्यालयों में पुलिस के अधिकारी और कर्मचारी डॉग प्रशिक्षण केन्द्र पर प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे कुत्तों को चंदन टीका लगाने के बाद उन्हें फूल माला पहनाकर उनकी पूजा करते हैं। पुलिस व लोगों का मानना है कि कुत्ते उनकी सुरक्षा में अहम भूमिका निभाते हैं। यह उन्हें सभी कष्टों से बचाने वाले भैरव देवता के वंशज हैं। पांच दिनों तक चलने वाले इस त्योहार को नेपाली समाज के लोग महापर्व के रुप में मनाते हैं। इस दौरान शाकाहारी और मांसाहारी व्यंजन बनाए जाते हैं। इसमें मेहमानों के आतिथ्य की भी अलग परम्परा है। त्योहार के दौरान पूरा नेपाल उल्लास में डूबा रहता है। इस त्योहार पर दूर दराज क्षेत्रों, दूसरे देशों में काम कर रहे लोग स्वदेश अवश्य लौट आते हैं।
अमावस्या को गाय और लक्ष्मी की होती पूजा :-
अमावस्या के दिन नेपाली 'गाय तिहार' पर देवी लक्ष्मी के रूप में गाय की पूजा करते। इस दिन गाय के माथे पर तिलक लगा व फूल माला पहनाकर पूजा की जाती है। संध्या पहर गणेश और धन की देवी लक्ष्मी की पूजा कर लोग सुख समृद्धि की कामना करते हैं। रात भर नाच-गाना का कार्यक्रम चलता रहता है। इस दौरान घरों को सजाया संवारा जाता है। दीपक और बिजली की रोशनी से पूरा घर सराबोर रहता है। युवक युवतियां घर-घर जाकर गीत गाते हैं और नृत्य करते हैं तो गृहस्वामी उन्हें मिष्ठान, फल के साथ कुछ बख्शीश भी देते हैं। चौथे दिन प्रतिपदा को शक्ति के देवता के रुप में बैल की भी श्रद्धा पूर्वक पूजा की जाती है। गोवंश को पहाड़ों का प्रतिनिधि भी माना जाता है। इसी दिन गोर्वधन पूजा की भी परम्परा सदियों से चली आ रही है।
द्वितीया तिथि को मनाया जाता भाईदूज-
पांचवें दिन द्वितीया पर भारत की तरह नेपाली बहनें भी भाइयों के सम्मान में भाईदूज मनाती हैं। इस त्योहार में बहनें भाइयों को टीका लगाती हैं। बदले में भाई बहनों को उपहार देते हैं। भारत के साथ-साथ नेपाल के मधेसी इलाकों में दीपावली का त्योहार काफी उत्साह व जोश से मनाया जाता है। तिहार पर्व के दौरान नेपाल के मधेसी क्षेत्र में भी अवकाश रहता है।