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एईएस से एक बच्ची की मौत, कोई भी नया मरीज भर्ती नहीं Muzaffarpur News

पूर्वी चंपारण स्थित मेहसी की नीतू विगत सप्ताह यहां हुई थी भर्ती। एसकेएमसीएच में एईएस पीडि़त 22 बच्चों का चल रहा इलाज पांच की हालत गंभीर।

By Ajit KumarEdited By: Published: Fri, 28 Jun 2019 08:59 PM (IST)Updated: Fri, 28 Jun 2019 08:59 PM (IST)
एईएस से एक बच्ची की मौत, कोई भी नया मरीज भर्ती नहीं Muzaffarpur News
एईएस से एक बच्ची की मौत, कोई भी नया मरीज भर्ती नहीं Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। श्रीकृष्ण चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (एसकेएमसीएच) में पूर्व से भर्ती एक बच्ची की शुक्रवार को मौत हो गई। पूर्वी चंपारण स्थित मेहसी की नीतू कुमारी विगत सप्ताह यहां भर्ती हुई थी। अस्पताल अधीक्षक डॉ. एसके शाही ने बताया नीतू की हालत पहले से ही काफी गंभीर थी। 

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 वहीं दूसरी ओर तापमान में कमी का स्पष्ट असर शुक्रवार को दिखा। एईएस से पीडि़त कोई भी नया मरीज यहां भर्ती नहीं हुआ। फिलहाल एसकेएमसीएच की पीआइसीयू में इस बीमारी से पीडि़त 22 बच्चे इलाजरत हैं। इनमें पांच की हालत अब भी गंभीर बनी हुई है।

 अस्पताल के रिकॉर्ड के अनुसार इस वर्ष अब तक एईएस पीडि़त 439 बच्चे इलाज के लिए यहां पहुंचे हैं। इसमें 293 स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं। जबकि 112 बच्चों को नहीं बचाया जा सका।

केजरीवाल से किया रेफर

केजरीवाल अस्पताल से मोतिहारी तुर्कोलिया के लक्ष्मी कुमारी को एईएस पीडि़त बताकर एसकेएमसीएच रेफर कर दिया गया। हालांकि एसकेएमसीएच के चिकित्सकों ने अभी इसकी पुष्टि नहीं की है। चिकित्सकों ने बताया कि जांच के पश्चात ही बीमारी की पुष्टि होगी।

शून्य मृत्यु दर की तैयारी 

एसकेएमसीएच में शिशु विभाग के चिकित्सकों के साथ दिल्ली से पहुंचे चिकित्सकों की टीम भर्ती बच्चों को बचाने के लिए तत्पर है। केंद्र सरकार के आदेश पर दिल्ली के विभिन्न अस्पताल से शिशु रोग विभाग के अनुभवी 10 चिकित्सकों के साथ पांच पारामेडिकल कर्मी की दूसरी टीम यहां काम कर रही है। वहीं बच्चों के इलाज और जांच के लिए आधुनिक मशीनें व उपकरण उपलब्ध कराई गई हैं। इसमें पोर्टेबल एक्सरे, एबीजी मशीन से लेकर पैथोलोजी विभाग की कई अत्याधुनिक मशीनें शामिल हैं।

इलाज के साथ बीमारी पर चर्चा 

डॉ. अरुण कुमार दिल्ली, पटना एवं स्थानीय एसकेएमसीएच के चिकित्सकों के साथ बच्चों का इलाज करते हैंं। इसके पश्चात शल्य विभाग के सेमिनार कक्ष में बीमारी पर चर्चा करते हैं। इसमें बच्चों में पाए जाने वाले लक्षणों से लेकर अन्य बिंदुओं पर विस्तृत से चर्चा होती है और उसके अनुसार इलाज किया जाता है।  


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