Darbhanga: पहले अतिथि शिक्षकों को विभाग ने दिया पैसा, फिर वापसी का आदेश, अब खाता संचालन बंद
जिले के उच्च विद्यालयों में पदस्थापित अतिथि शिक्षकों को हुए अधिक भुगतान की जानकारी लगने के बाद शुरू हुई वसूली की कवायद तो बढ़ी परेशानी। प्रत्येक शिक्षक को वापस करने होंगे 45 से 62 हजार रुपये खाता संचालन पर लगी रोक।
दरभंगा, जासं। पहले शिक्षा विभाग ने जिले के उच्च विद्यालयों में पदस्थापित अतिथि शिक्षकों को प्रधानाध्यापक द्वारा दी गई उपस्थिति विवरणी के आधार पर भुगतान कर दिया। बाद में पता चला शिक्षकों को ज्यादा पैसा चला गया है। फिर लॉकडाउन के बाद वसूली शुरू हुई। अब शिक्षक परेशान हैं। आलम है कि वे अपने ही खाता से पैसा नहीं निकाल सकते। उनके खाता संचालन पर रोक है।
दरअसल, लॉकडाउन अवधि में मार्च से नवंबर 2020 तक उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में कार्यरत अतिथि शिक्षकों को हुई अधिक पारिश्रमिक के भुगतान की वसूली का आदेश जिला शिक्षा कार्यालय ने जारी किया है। करीब 179 शिक्षकों से तीन करोड़ रुपए की वसूली के फरमान ने शिक्षक जगत में हड़कंप मचा दिया है। आदेश के अनुसार प्रत्येक अतिथि शिक्षक को 45 से लेकर 62 हजार रुपए वापस विभाग को लौटाना है। यदि नहीं लौटाते हैं तो कार्रवाई भी की जाएगी। एक प्रधानाध्यापक के अनुसार गबन की प्राथमिकी भी दर्ज कराई जा सकती है।विभाग के फरमान को लेकर अतिथि शिक्षकों ने पहले भी रोष प्रकट किया था। स्थापना विभाग के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी का घेराव करने तक पहुंच गए थे। लेकिन उनके साथ भी मजबूरी थी। अतिथि शिक्षक हैं सो बहुत हंगामा कर नहीं सकते। ना नौकरी है, ना संविदा । जरा भी इधर उधर किया तो हाकिम तुरंत स्कूल से बाहर का रास्ता भी दिखा सकते हैं। इसलिए मन मसोस कर रह गए।
लेकिन दबी जुबान से ही सही बिहार उच्चतर माध्यमिक अतिथि शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष मनीष कुमार ने कहा कि किसी भी शिक्षक ने अपने निर्धारित पारिश्रमिक से अधिक भुगतान नहीं लिया है। हमें सरकार ने भुगतान के लिए प्रतिदिन एक हजार रुपए और महीने में अधिकतम 25 हजार रुपए भुगतान का प्रावधान कर रखा है।
लॉकडाउन में जब स्कूल पूरी तरह बंद थे तब सरकार ने घोषणा की थी कि किसी का पारिश्रमिक, मानदेय या वेतन नहीं काटा जाएगा । ऐसी स्थिति में हमें महीने का अधिकतम 25 हजार रुपये का भुगतान किया गया। सरकार ने 22 सितंबर 2020 से नौवीं से लेकर 12 वीं कक्षा तक के बच्चों के मार्गदर्शन के लिए स्कूल खोले सरकार का निर्देश था कि प्रतिदिन स्कूल के शिक्षक अधिकतम पचास प्रतिशत की संख्या में ही उपस्थित होंगे। लेकिन यह नियमित और नियोजित शिक्षकों पर लागू होता है जो माहवार वेतन या मानदेय पाते हैं।हमलोग तो प्रतिदिन पारिश्रमिक वाले लोग थे इसलिए हमारे भुगतान को अधिक कहना कदापि उचित नहीं है। जब सरकार स्वयं कहती है कि लॉकडाउन अवधि में एक दिन का भी वेतन नहीं काटना है तो फिर किस प्रकार हमलोगों को भुगतान किए गए रुपए को वापस करने का फरमान जारी किया गया है। स्थापना के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी विजय चंद भगत ने कहा कि प्रधानाध्यापकों को जानकारी के अभाव में गलत विपत्र आने के कारण ऐसा भुगतान हो गया था। इसके ठीक किया जा रहा है।
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