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ज्यादा बच्चे पैदा करने पर बच्चेदानी के कैंसर का खतरा

एनिमिया गर्भवती के लिए जानलेवा प्रसव पूर्व जांच में महिलाओं रुचि नहीं। स्त्री व प्रसव रोग विशेषज्ञ एसोसिएशन का सम्मेलन संपन्न।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sun, 10 Mar 2019 11:02 PM (IST)Updated: Sun, 10 Mar 2019 11:02 PM (IST)
ज्यादा बच्चे पैदा करने पर बच्चेदानी के कैंसर का खतरा

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। महिला व प्र्रसूति रोग विशेषज्ञ एसोसिएशन का अधिवेशन वैज्ञानिक सत्र के साथ समाप्त हुआ। अगला अधिवेशन दो साल बाद पटना में आयोजित होगा। तीन दिन के मंथन में यह बात सामने आई कि चिकित्सक केवल मरीज ही नहीं देखें, उसको जागरूक करें। ताकि मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम किया जाए। फिलहाल एक लाख गर्भवती में 130 की मौत हो रही है। उसको 100 तक लाने का संकल्प लिया गया। ज्यादा बच्चे पैदा करने वाली महिलाओं पर बच्चेदानी कैंसर का खतरा रहता है। इसलिए समय पर शादी पर बल दिया गया।

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नई विधि से कम परेशानी

डा.बासुदेव पानिकर ने बताया कि बिना अधिक रक्तस्त्राव के बच्चेदानी को निकाला जा सकता है। नई विधि से चिकित्सक ऑपरेशन कर सकते है। उन्होंने एक यंत्र विकसित किया है। उसका प्रदर्शन किया।

अल्ट्रासाउंड समय पर जरूरी

डॉ.अभय पटनायक ने अल्ट्रासाउंड के जरिए गर्भ में पल रहे बच्चे के जान पर खतरे की जानकारी पर विस्तार से चर्चा की। गर्भवती सातवें माह के बाद ज्यादा सचेत रहे तो उसका बच्चा सुरक्षित रहेगा। जच्चा-बच्चा पर खतरा कम होगा।

 डॉ.हीरालाल कोनार ने अंडाशय के कैंसर पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि समय पर यदि कैंसर की जानकारी हो जाए तो उसका इलाज संभव है।

उच्च रक्तचाप सें मर रहे बच्चे

स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ.सीमा ठाकुर ने कहा कि हर साल विश्व स्तर पर पांच मिलियन बच्चे मरा हुआ पैदा हो रहा है। अपने देश में एक सौ में तीन से चार बच्चे मरते है। बच्चे के अंदर खून की आपूर्ति की कमी, गर्भवती को हाई ब्लड प्रेशर व समय पर जांच नहीं होना है। गर्भवती को तीन माह के बाद जांच कराना चाहिए।

बेहतर प्रजेंटेंशन को पुरस्कृत

सेमिनार में बेहतर प्रजेंटेशन के लिए पांच युवा महिला चिकित्सकों को पुरस्कृत किया गया। पहला पुरस्कार डॉ.अंजली को दिया गया। डॉ.शालिनी सुमन, डॉ.तनु, डॉ.स्नेहील शर्मा, डॉ.अमृता प्रीतम, डॉ.अंजली और डॉ.रंगीला सिन्हा को भी सम्मानित किया गया।

खास बातें

- बेटियों को गर्भ से लेकर कब्र तक सही सलामत रखने के लिए चिकित्सक समाज लोगों को जागरूक करे, मरीजों को देखने में समय दें।

- कम से कम सिजेरियन ऑपरेशन हो इसके लिए उल्टा बच्चे को सीधा किया जाए, मरीजों को ऑपेरशन से पहले सारी चीजों की जानकारी दें। नियमित व्यायाम करने की सलाह

- गर्भवती के इलाज मामले में मुसीबत आने पर तैयारी करने के बदले पहले से ही रहें तैयार ताकि मृत्यु दर हो सके कम

- प्रसव पूर्व जांच की हालत बहुत ही खराब। हालत यह है कि जागरूकता व अशिक्षा के कारण नौ माह में एक बार भी प्रसव पूर्व जांच नहीं करा रही गर्भवती।

- सरकारी स्वास्थ्य केन्द्र पर चिकित्सकों की कमी, उसे दूर करे सरकार ताकि हो बेहतर इलाज

- चिकित्सक है तो वह गर्भवती महिलाओं पर समय नहीं देते, केवल जांच करते उन्हें जागरूक भी करें

इनकी रही भागीदारी

वरीय चिकित्सक डॉ.रंगीला सिन्हा, डॉ.मंजू गीता मिश्रा, डॉ.पल्लवी राय, डॉ.बीके राय, डॉ.जेपी सिंह,डॉ.रंजना मिश्रा, डॉ.प्राची सिंह, डॉ.ज्योति, डॉ.अनुपमा शाही, डॉ.सुषमा आलोक, डॉ.स्मिता कर्ण, डॉ.वर्षा नाथानी, डॉ.विभा वर्मा, डॉ.साधना सिन्हा,डॉ.मंजू जायसवाल, समाजिक कार्यकर्ता एलएल गुप्ता आदि शामिल रहे।


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