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पटना में बच्‍चों ने भी पेंटिंग के जरिए कहा- दहेज को ना

दैनिक जागरण के दहेज के खात्मे की मुहिम की कमान आज बच्‍चों ने भी थामी। पटना के ईको पार्क में 'दहेज एक अभिशाप' विषय पर पेंटिंग प्रतियोगिता में बड़ी संख्‍या में बच्चे शामिल हुए।

By Kajal KumariEdited By: Published: Fri, 01 Dec 2017 09:05 AM (IST)Updated: Fri, 01 Dec 2017 06:55 PM (IST)
पटना में बच्‍चों ने भी पेंटिंग के जरिए कहा- दहेज को ना
पटना में बच्‍चों ने भी पेंटिंग के जरिए कहा- दहेज को ना

पटना [अक्षय]। साल के आखिरी महीने का पहला दिन बच्चों के पैगाम का रहा। दैनिक जागरण के अभियान 'दहेज को ना कहें' की कमान शुक्रवार को राजधानी के स्कूली बच्चों के हाथ में थी। इको पार्क में 'दहेज एक अभिशाप' विषय पर आयोजित इंटर स्कूल पेंटिंग प्रतियोगिता में भाग लेने आए छात्रों का जोश देख धूप भी मंद-मंद मुस्काई। प्रतियोगिता का उद्घाटन विधानसभा अध्यक्ष विजय चौधरी और दैनिक जागरण के एसोसिएट एडीटर सद्गुरु शरण ने गुब्बारा उड़ा कर की।
सामाजिक नासूर पर बच्चों की आवाज अहम
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि दहेज सामाजिक नासूर है। इस तरह के मुद्दे पर बच्चों की पहल अहम है। दूल्हे की खरीद पर रोक केवल कानून से नहीं लगेगी। इसके लिए सामाजिक चेतना की आवश्यकता है, जिसका बीड़ा दैनिक जागरण परिवार ने उठा लिया है। बच्चों को शुभकामना देते हुए चौधरी ने कहा, आप ही भविष्य हैं। आपका संदेश पूरे देश में सुनाई पड़ेगा।
एसोसिएट एडीटर सद्गुरु शरण ने कहा कि 'दहेज को ना कहें' अभियान एकजुटता का है। प्रतियोगिता में शामिल सभी बच्चे अपने आप में विजेता हैं।
 

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हजारों बच्चों ने कैनवास पर उकेरी कल्पना
खरे सिक्के का संदेश देने इको पार्क में सुबह नौ बजे से ही बच्चों की भीड़ जुटने लगी थी। पार्क के जिस ओर भी नजर जा रही थी वहां कैनवास लिए बच्चे ही नजर आ रहे थे। इंटर स्कूल पेंटिंग प्रतियोगिता में राजधानी के 55 स्कूलों के बच्चों ने भाग लिया। करीब छह हजार बच्चों के बीच आयोजित हुई प्रतियोगिता को दो वर्ग में बांटा गया था। पहला वर्ग कक्षा चार से छह तो दूसरा वर्ग कक्षा सात से 12 का था।
पेंसिल से लिख दिए पक्के संदेश
कागज पर छात्र-छात्राएं दहेज के विरोध में अपनी कल्पना उकेरने में लगे थे। बच्चों के संदेश भले ही पेंसिल से लिखे जा रहे थे पर मिटने वाले नहीं थे। कूचियां सपनों में रंग भर रही थीं। अधिकतर बच्चों ने सफेद कागज पर तराजू बना रखा था जिसमें बेटी और पैसों को तौला जा रहा था। सभी की कल्पना में बेटी का पलड़ा भारी था। वहीं दूल्हे के सेहरे पर नोट की आकृति भी लोगों को आकर्षित कर रही थी। जिसमें बच्चे लड़की के घर वालों को खून आंसू रोते हुए दिखा रहे थे। बच्चों के कैनवास पर उकेरे चित्र की बनावट और रंग भले अलग हों पर संदेश एक ही था- 'देहज को कहें ना।'


एक सप्ताह में घोषित होंगे विजेता
प्रतियोगिता में दोनों ही ग्रुप के प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान पाने वाले बच्चों को क्रमश: 10,000, 5,000 और 2,500 की राशि दी जाएगी। प्रतियोगिता का रिजल्ट एक सप्ताह में जारी कर दिया जाएगा। इसकी सूचना विजेता बच्चों के नाम के साथ अखबार में भी प्रकाशित की जाएगी।

 

 


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