जिले में क्रिकेट कहीं भी सुनियोजित तरीके से नहीं चल रहा, भटक रहे खिलाड़ी-खेलप्रेमी Muzaffarpur news
कुर्सी की लड़ाई में बंट चुके हैं क्रिकेट के दिग्गज। विवादों की वजह से खिलाडिय़ों को हो रहा नुकसान खिलाडिय़ों के टूट रहे सपने।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। शहर ही नहीं जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में भी क्रिकेट का क्रेज है। कहीं-कहीं तो शहर से भी ज्यादा। हर कोई क्रिकेट खेल रहा, देख रहा। शहर से लेकर गांव तक के मैदानों में बच्चे-युवा बल्ला थामे चौके-छक्के मार रहे। लेकिन, सच्चाई यह है कि जिले में कहीं भी क्रिकेट सुनियोजित तरीके से नहीं चल रहा। क्रिकेट के नाम पर कुकुरमुत्ते की तरह उग आए क्रिकेट संघों द्वारा मनमानी की जा रही।
जिले में क्रिकेट का इतिहास काफी पुराना है, लेकिन बिहार विभाजन के बाद प्रदेश स्तर पर हुए विवाद का असर मुजफ्फरपुर जिले पर भी पड़ा है। संगठन की असली लड़ाई अब यहां भी चल रही। इसका सबसे अधिक नुकसान खिलाडिय़ों का उठाना पड़ रहा। इन विवादों के कारण अपने बच्चों को सचिन एवं धोनी बनाने का सपना देख रहे अभिभावकों को निराशा हाथ लग रही।
विवादों की भेंट चढ़ रहा स्वर्णिम इतिहास
जिला क्रिकेट संघ की स्थापना वर्ष 1980 में हुई थी। रामनरेश सिंह इसके पहले अध्यक्ष एवं परमानंद सिन्हा उर्फ बमबमजी इसके संस्थापक सचिव बने। संघ जिले से कई बड़े खिलाड़ी दे चुका है। लेकिन, आज संघ विवादों मे इस कदर फंसा है कि खिलाड़ी पलायन को मजबूर हैं। विवादों से पूर्व जिला क्रिकेट लीग में तीन दर्जन शहरी एवं ग्रामीण टीमें भाग लेती थीं, लेकिन आज सब कुछ बदल गया है।
टेनिस बाल क्रिकेट की बहार
असली क्रिकेट भले ही हांफ रहा हो, लेकिन क्रिकेट के नाम पर टेनिस बाल क्रिकेट की बहार है। टी-20 क्रिकेट भी जमकर फल-फूल रहा। कई संघ, संगठन एवं क्लब खिलाडिय़ों को आकर्षित कर बड़ी-बड़ी प्रतियोगिताओं में शिरकत करा रहे। लेकिन, उनके द्वारा दिए जाने वाले प्रमाण पत्र का कोई महत्व नहीं। क्रिकेट खेलकर आगे बढऩे का संकल्प लिए खिलाड़ी भ्रमित हो रहे।
जिले में खेल की हैं ये उपलब्धियां
-जिला हेमन ट्राफी, रणधीर वर्मा ट्राफी एवं श्यामल सिन्हा ट्राफी की मेजबानी कर चुका है।
-डॉ. सैयद मुमताजुद्दीन, अशोक पाहुंजा, जिसानुल यकीन एवं तारिर्कुर रहमान रणजी खिलाड़ी रहे हैं।
-जिले के दर्जनों खिलाडिय़ों ने राज्य प्रतियोगिता में जिला का प्रतिनिधित्व किया है।
-टीम हेमन एवं श्यामल सिन्हा ट्रॉफी की कई बार विजेता बनी।
-संघ के संस्थापक सचिव परमानंद सिन्हा बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव तक रहे चुके हैं।