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Coronavirus effect : संकट के इस समय में रिमांड व रिलीज तक ही सिमट गई कोर्ट की कार्यवाही, जानें वर्तमान स्थिति

Coronavirus effect अधिवक्ता तक ने छोड़ा कोर्ट गिरफ्तार आरोपितों को वर्चुअल माध्यम से कोर्ट के समक्ष पेश कर रही पुलिस

By Ajit KumarEdited By: Published: Sun, 26 Jul 2020 07:16 AM (IST)Updated: Sun, 26 Jul 2020 07:16 AM (IST)
Coronavirus effect : संकट के इस समय में रिमांड व रिलीज तक ही सिमट गई कोर्ट की कार्यवाही, जानें वर्तमान स्थिति
Coronavirus effect : संकट के इस समय में रिमांड व रिलीज तक ही सिमट गई कोर्ट की कार्यवाही, जानें वर्तमान स्थिति

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण ने पूरी न्याय व्यवस्था को हिलाकर रख दिया है। वर्चुअल कोर्ट की चल रही कार्यवाही भी रुक सी गई है। वर्चुअल कोर्ट अब गिरफ्तार आरोपितों को न्यायिक हिरासत में जेल भेजने व जमानत पर रिहा करने तक की कार्य सिमट कर रह गई है। हमेशा भीड़-भाड़ वाला कचहरी परिसर इन दिनों वीरान बना हुआ है।

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सभी मामले में भी बस दी जा रही तारीखें

पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड, पूर्व मेयर समीर हत्याकांड, नवरुणा हत्याकांड, ऑटा टिपर घोटाला के मामले की सुनवाई चल रही है। कोराना वायरस के संक्रमण से बचाव को लेकर इन मामले की सुनवाई के दिन बस अगली तारीख दे जाती है। अन्य मामले की भी यही स्थिति है। हाइकोर्ट ने किसी भी मामले में विरोधी आदेश पारित नहीं करने का आदेश जारी कर रखा है।

वर्चुअल कोर्ट से आरोपितों को भेजा जाता न्यायिक रिमांड

आरोपितों को न्यायिक हिरासत में जेल भेजने की व्यवस्था बदल गई हे। अब जब पुलिस किसी आरोपित को गिरफ्तार कर लाती हे। तो उसे वर्चुअल कोर्ट के माध्यम से न्यायिक अधिकारी के समक्ष पेश करना पड़ता है। संबंधित पेशकार भी तभी कोर्ट में पहुंचते जब पुलिस किसी आरोपित को गिरफ्तार कर पहुंचती है। न्यायाधीश अपने आवास पर ही वर्चुअल कोर्ट के माध्यम से न्यायिक रिमांड की कानूनी प्रक्रिया पूरी करते हैं।

संक्रमण ने घर में रहने को किया मजबूर

कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव व लॉकडाउन के कारण अधिकांश अधिवक्ताओं ने कचहरी आना छोड़ दिया है। कचहरी परिसर से जुड़े कुछ लोगों के संक्रमित होने की सूचना नेे भी सभी को घर में रहने को मजबूर कर दिया है। जिला बार एसोसिएशन की उपाध्यक्ष डॉ.संगीता शाही कहती हैं कि संकमण से बचाव का यही रास्ता है। एसोसिएशन के अंकेक्षक सुधीर कुमार ओझा कहते हैं कि रिमांड व रिलीज के अलावा कोर्ट में कोई अन्य कार्य हो नहीं रहा है। फिर संक्रमण का भय, ऐसे में कोर्ट नहीं जाना ही बेहतर है।  


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