पड़ोस के मोहल्ले में निकला कोरोना पॉजिटिव, खाना मिलना हो गया बंद तो हरियाणा से पत्नी संग साइकिल से आ गए घर
1206 किलोमीटर की दूरी बेगूसराय के कमलेश ने 12 दिनों में की तय। भुखमरी की स्थिति देखकर घर आना ही समझा बेहतर। अत्याधिक साइकिल चलाने से कमलेश के पैर सूज गए!
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। हरियाणा से सभी साथी पहले लॉकडाउन के बाद ही पैदल और साइकिल लेकर अपने घर की ओर निकलने लगे। मुझे लगा कि कुछ दिनों में सबकुछ सामान्य हो जाएगा। लेकिन, स्थिति और भयावह होती गई। फैक्ट्री में भी काम पर आने से मना कर दिया गया। ऐसे में सुबह का खाना मिलता तो रात की चिंता सताने लगती। बगल के मोहल्ले में कोरोना संक्रमित लोगों के मिलने के बाद तो नींद ही गायब हो गई। पत्नी बार-बार घर चलने को कहने लगी। कोई साधन न होने पर पैदल या साइकिल से इतनी दूरी तय करने में डर लग रहा था। जब लगा कि अब कोई विकल्प नहीं बचा और घर नहीं पहुंचे तो यहां भूख से मर जाएंगे। कुछ चूरा, चना, सत्तू की पोटली बनाई और पत्नी को साथ लेकर बेगूसराय के मंझौल के लिए साइकिल से ही निकल पड़े।
चापाकल से पानी भी नहीं लेने दे रहे
चार दिनों तक साथ लाए चूरा-सत्तू को खाकर साइकिल चलाते रहे, लेकिन थकान इतनी हुई कि आगे जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी। लेकिन, वापस भी नहीं जा सकते थे। गर्मी से सबसे ज्यादा पानी की कमी महसूस होने लगी। कहीं-कहीं तो प्रवासी जानकर लोग चापाकल से पानी भी नहीं लेने दे रहे थे। जहां रात हो जाती वहीं अंगौछा बिछाकर खुले आकाश के नीचे दोनों लोग सो जाते। कुछ इस तरह साइकिल से हरियाणा से 1206 किलोमीटर की दूरी तय करने में आई दिक्कतों को काजीइंडा के आगे टोल प्लाजा पर पहुंचे बेगूसराय के मंझौल जा रहे कमलेश पासवान और उनकी पत्नी सुनैना देवी ने साझा किया। कहा कि अब मंजिल निकट है। देर रात तक घर पहुंच जाएंगे। विश्वास है कि वहां पहुंचकर भूखे तो नहीं मरेंगे। अत्याधिक साइकिल चलाने से कमलेश के पैर सूज गए थे, लेकिन कोई भी बाधा उसके घर पहुंचने के लिए गए संकल्प को डिगा नहीं सकी।