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Muzaffarpur Shelter home case : सजा के विरुद्ध दिल्ली हाईकोर्ट में ही अपील कर सकते सजायाफ्ता

Muzaffarpur Shelter home case दिल्ली हाईकोर्ट में अपील की चल रही तैयारी। साकेत कोर्ट के न्यायाधीश ने फैसले में कहा फैसला के विरुद्ध उपरी अदालत में अपील कानूनी अधिकार।

By Ajit KumarEdited By: Published: Thu, 13 Feb 2020 07:56 AM (IST)Updated: Thu, 13 Feb 2020 07:56 AM (IST)
Muzaffarpur Shelter home case : सजा के विरुद्ध दिल्ली हाईकोर्ट में ही अपील कर सकते सजायाफ्ता
Muzaffarpur Shelter home case : सजा के विरुद्ध दिल्ली हाईकोर्ट में ही अपील कर सकते सजायाफ्ता

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। बालिका गृह मामले में ब्रजेश ठाकुर सहित 19 सजायाफ्ता साकेत के विशेष कोर्ट से मिली सजा के विरुद्ध दिल्ली हाईकोर्ट में ही अपील कर सकते हैं। यह कानूनी रूप से बाध्यकारी है। अपने फैसले में साकेत कोर्ट के न्यायाधीश सौरभ कुलश्रेष्ठ ने भी कहा है कि इस फैसले के विरुद्ध अपील करने का उन्हें कानूनी अधिकार है। अगर कोई सजायाफ्ता अधिवक्ता को रखने में सक्षम नहीं है तो वह तिहाड़ जेल के लीगल सेल और दिल्ली हाईकोर्ट के लीगल सर्विस कमेटी के सचिव के समक्ष आवेदन कर सकता है।

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हाईकोर्ट में अपील की तैयारी शुरू

मंगलवार को सजा सुनाए जाने के बाद अधिकांश सजायाफ्ता दोषियों के घर पर सन्नाटा पसरा रहा। कई दोषियों के स्वजन अब तक दिल्ली से नहीं लौटे हैं। एक सजा पाने वाले एक दोषी के अधिवक्ता ने बताया कि साकेत कोर्ट के फैसले का अध्ययन किया जा रहा है। इसको लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में अपील को लेकर कानूनी तैयारी की जा रही है। जल्द ही अपील याचिका दाखिल की जाएगी। अपील याचिका इस तरह तैयार की जाएगी कि हाईकोर्ट इसे स्वीकार कर ले और साकेत कोर्ट के फैसले को स्थगित कर दे। इस आधार पर सजा पाए दोषियों को जमानत देने की हाईकोर्ट से प्रार्थना की जाएगी।

कोर्ट से मिली सजा की होती रही चर्चा

साकेत कोर्ट से ब्रजेश ठाकुर सहित अन्य को मिली बड़ी सजा को लेकर चौक-चौराहों पर दिन भर चर्चा होती रही। कोर्ट के फैसले की सभी ने सराहना की। जिस तेजी से कोर्ट में सुनवाई हुई और दोषियों को सजा सुनाई गई उससे सभी प्रसन्न दिखे।

फौजदारी मामले के वरीय अधिवक्ता शरद सिन्हा ने कहा कि कानून के अनुसार हाईकोर्ट के क्षेत्राधीन वाली निचली अदालत में सुनवाई के बाद फैसला सुनाया जाता है, उसी हाईकोर्ट में अपील की जाती है। भले ही यह मामला मुजफ्फरपुर का है, लेकिन इसका सत्र-विचारण दिल्ली के साकेत कोर्ट में हुआ है। यह कोर्ट दिल्ली हाईकोर्ट के क्षेत्राधीन है। इसलिए फैसला के विरुद्ध दिल्ली हाईकोर्ट में ही अपील हो सकती है।  


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