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श‍िवहर में टकराव और बढ़ा, जेल अधीक्षक ने जेलर को किया निलंबित

राशन गोदाम में गड़बड़ी को लेकर जेल अधीक्षक ने किया जेलर को निलंबित। लंबे समय से जेल अधीक्षक और जेलर में चल रहा है टकराव। एक सप्ताह पूर्व जेल अधीक्षक ने जेलर के जेल में प्रवेश पर लगाई थी रोक लिपिक को दिया था जेलर का प्रभार।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sun, 11 Apr 2021 03:03 PM (IST)Updated: Sun, 11 Apr 2021 03:03 PM (IST)
श‍िवहर में टकराव और बढ़ा, जेल अधीक्षक ने जेलर को किया निलंबित
डीएम ने दिया था दोनों को आपस में मामले का निष्पादन करने का आदेश। विभागीय कार्रवाई की चेतावनी

शिवहर, जासं। जेल अधीक्षक और जेलर के बीच जारी टकराव को लेकर शिवहर जेल सुर्खियों में है। डीएम के निर्देश के बावजूद दोनों का टकराव और अधिक बढ़ गया है। रविवार को जेल अधीक्षक डॉ. दीपक कुमार ने तत्काल प्रभाव से जेलर आलोक कुमार सिंह को निलंबित कर दिया है। जबकि, जेलर ने मामले में डीएम से इंसाफ मांगा है।

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बताते चलें कि, शिवहर जेल में लंबे समय से जेल अधीक्षक और जेलर के बीच टकराव चल रहा है। एक सप्ताह पूर्व जेल अधीक्षक ने जेलर के जेल में प्रवेश पर रोक लगा दी थी। वहीं जेलर का प्रभार लिपिक संजीव कुमार को दिला दिया था। इसके बाद से स्थिति गंभीर हो गई थी। नौ अप्रैल को डीएम सज्जन राजशेखर ने दोनों को बुलाकर आपस में मामले का निष्पादन करने का निर्देश दिया था। डीएम ने मामले का निष्पादन नहीं हाेने की स्थिति में दोनों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की चेतावनी भी दी थी। बावजूद इसके मामला और उलझ गया। जेल अधीक्षक ने पत्रांक 26 के तहत 11 अप्रैल को पत्र जारी कर जेलर को बिहार कारा हस्तक 2012 के तहत प्रदत शक्तियों का प्रयोग करते हुए तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। निलंबन अवधि में जेलर को बिहार सरकारी सेवक (वर्गीकरण नियंत्रण एवं अपील) नियमावली 2005 के तहत जीवनयापन भत्ता देय होगा। जेल अधीक्षक ने जेलर पर कर्तव्यपालन में लापरवाही बरतने व राशन गोदाम में गड़बड़ी के आरोप में निलंबित गया है। उधर, जेलर आलोक कुमार सिंह ने जेल अधीक्षक की कार्रवाई को गलत बताया है। साथ ही जेल अधीक्षक पर कई संगीन आरोप लगाए है। जेलर का कहना हैं कि, जेल के बंदियों को मानक के अनुसार भोजन उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। इसका वह लगातार विरोध करते रहे है। चार्ट के अनुरूप भोजन देने तथा उसका सही-सही रजिस्टर में दर्ज करने के लिए वह अडिग हो गए।

जबकि, जेल अधीक्षक उनसे रजिस्टर में गलत दर्ज करने का दबाव बना रहे थे। विरोध करने पर पांच अप्रैल को उनके जेल में प्रवेश पर रोक लगा दी। साथ ही उनका प्रभार लिपिक को दे दिया। साथ ही साजिश के तहत उनके खिलाफ बंदियों से झूठा आवेदन आईजी कारा को भिजवाया गया। इसके बाद आईजी ने स्पष्टीकरण जारी किया था। जेलर के अनुसार जेल अधीक्षक के इशारे पर लिपिक संजीव कुमार और कंपाउंडर मनोज कुमार बंदियों का शोषण कर रहे है। इन्हीं दोनों के पास राशन गोदाम और खाना-नाश्ता की जिम्मेदारी हैं। जेलर ने कहा कि, सभी राशन गोदाम के रजिस्टर को डीएम को सौंपकर न्याय की मांग करेंगे। बहरहाल, जेलर और जेल अधीक्षक के बीच टकराव की सच्चाई क्या है यह तो जांच के बाद ही सामने आएगा। लेकिन, जेल से मुक्त बंदियों की माने तो जेल में कुछ भी ठीक-ठाक नही चल रहा है। मानक के अनुसार भोजन नहीं मिल रहा है। कंपाउंडर और लिपिक के जिम्मे भोजन और गोदाम की व्यवस्था है। दोनों मिलकर बंदियों के हक की भोजन मद की राशि लूट रहे है। 


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