कोरोना काल में ऑनलाइन शिक्षा विद्यार्थियों के लिए अनिवार्य उपकरण
दैनिक जागरण की ओर से चल रहे पढ़े भारत ऑनलाइन कार्यक्रम में विशेषज्ञ के रूप में एलएस कॉलेज के हिदी विभाग के प्राध्यापक प्रो.राजेश्वर कुमार ने इंटर और स्नातक के हिदी और पत्रकारिता के छात्र-छात्राओं को टिप्स दिए।
मुजफ्फरपुर। दैनिक जागरण की ओर से चल रहे 'पढ़े भारत ऑनलाइन' कार्यक्रम में विशेषज्ञ के रूप में एलएस कॉलेज के हिदी विभाग के प्राध्यापक प्रो.राजेश्वर कुमार ने इंटर और स्नातक के हिदी और पत्रकारिता के छात्र-छात्राओं को टिप्स दिए। कहा कि कोरोना महामारी ने पूरे विश्व के समक्ष एक चुनौती पेश किया है। ऐसे में, शिक्षा जगत पर इसके प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। भारत जैसे विकासशील देश में शिक्षण के स्वरूप में आए बदलाव अर्थात ऑनलाइन शिक्षण की चुनौतियां सरल नहीं है। एक ओर हम अभी बुनियादी जरूरतों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, सबके लिए शिक्षा सुनिश्चित करने में ही लगे थे, तब तक कोरोना ने डिजिटल शिक्षा की ओर जाने को हमें विवश कर दिया। हम उस दिशा में आगे बढ़ रहे थे परंतु कोरोना के संकट ने उसकी गति बढ़ा दी। इस परिस्थिति में नए छात्रों के लिए ऑनलाइन शिक्षा एक अनिवार्य उपकरण की तरह है।
जो छात्र मैट्रिक करने के बाद 12वीं में नामांकन ले रहे हैं, उन्हें स्वयं को इस नई परिस्थिति के साथ तालमेल करके चलना होगा अन्यथा विषयवस्तु अच्छी संकल्पनाओं के बावजूद वे पिछड़ जाएंगे। छात्र-छात्राओं को सही वेबसाइट, यू-ट्यूब ,पोर्टल इत्यादि का ही सहारा लेना चाहिए और इसका निर्देश शिक्षकों की ओर से होना चाहिए कि क्या और कैसे उपकरणों का इस्तेमाल करना है।
ऑनलाइन शिक्षण के लिए छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों के प्रशिक्षण हेतु नई शिक्षा नीति में कई बातें कही गई है। भारतीय भाषाओं में ऑनलाइन नेटवर्किंग की व्यवस्था भी होगी ताकि ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त करने में अंग्रेजी की अनिवार्यता आड़े न आए। ऑनलाइन शिक्षण के लिए आधारभूत संरचनाओं को विकसित करना होगा, इंटरनेट की उपलब्धता भी अनिवार्य सेवा की तरह हो जाएगा। छात्रों को आज ऑनलाइन अध्ययन सामग्री की कमी नहीं है लेकिन उनके लिये क्या आवश्यक है और कितना व किस रूप में जरूरी है, इसकी चिता शिक्षकों को करनी होगी।
लोकसभा, राज्यसभा और दूरदर्शन चैनल देखें विद्यार्थी :
बदलते परिवेश में हिदी साहित्य और पत्रकारिता के विद्यार्थियों को बड़े संतुलन की जरूरत है। क्योंकि साहित्य और पत्रकारिता जनसरोकार के विषय हैं। सभी को लोकसभा, राज्यसभा और दूरदर्शन को जरूर देखना चाहिए क्योंकि इसमें जो परिसंवाद होता है और अनुसंधान के साथ सम्पादित व प्रामाणिक होता है। इसी प्रकार पत्रकारिता के विद्यार्थियों को प्रेस इंफॉरमेशन ब्यूरो के वेबसाइट को अवश्य विजिट करना चाहिए ताकि अद्यतन नीतिगत फैसलों और प्रामाणिक सूचनाओं तक पहुंचा जा सके। आकाशवाणी के समाचार और अखबारों के संपादकीय पृष्ठ साहित्य और पत्रकारिता दोनों के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी है। इंटर और स्नातक में नामांकन लेने वाले विद्यार्थी ऑनलाइन पढ़ाई के जुड़ी समस्याएं वाट्सएप नंबर 9304680892 पर भेज सकते हैं। इसे विशेषज्ञों की राय के साथ प्रकाशित किया जाएगा।