स्मार्ट सिटी तो दूर अपने लिए एक कार्यालय तक नहीं बना पाई कंपनी Muzaffarpur News
कागज पर दौड़ रही एक दर्जन योजनाएं जमीन पर एक भी नहीं। अब तक नहीं हुई स्मार्ट सिटी कंपनी के कर्मचारियों की बहाली।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। चार साल बाद भी स्मार्ट सिटी में रहने का शहरवासियों सपना पूरा नहीं हो पाया। उनके सपने को साकार करने के लिए स्मार्ट सिटी कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के गठन एवं प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंट की नियुक्त के दो साल से अधिक समय बीत गए। स्थिति यह है कि शहर को स्मार्ट सिटी में तब्दील करने की बात तो दूर कंपनी अपने लिए एक कार्यालय तक का निर्माण नहीं करा सकी। कंपनी के कर्मचारियों की बहाली अब तक नहीं हो पाई है। दो साल में कंपनी के कंसल्टेंट ने एक दर्जन योजनाएं बनाई जो कागज पर ही है।
स्मार्ट सिटी एक नजर
--जुलाई 2015 को शहर स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल हुआ।
- जून 2017 में भागलपुर, पटना के साथ मुजफ्फरपुर भी स्मार्ट सिटी घोषित हुई।
- अक्टूबर 2017 में परियोजना के संचालन के लिए स्मार्ट सिटी कंपनी प्राइवेट लिमिटेड का गठन हुआ।
- जनवरी 2018 में कोलकाता की एजेंसी श्रेयी को कंपनी का कंसल्टेंट चुना गया।
- अब तक कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की आठ बैठकें हुई हंै।
- एक दर्जन योजनाएं बनकर तैयार। कुछ का टेंडर हुआ तो कुछ प्रक्रिया में है।
- स्मार्ट सिटी परियोजनाओं पर खर्च होना है 1534 करोड़ रुपये
- स्मार्ट सिटी मिशन की निगरानी को एडवाइजरी कमेटी गठित
कार्यालय को नहीं मिल रही जगह
स्मार्ट सिटी कंपनी को अपने कार्यालय के लिए जमीन की तलाश है। फिलहाल संयुक्त भवन स्थित कमरे में कार्यालय संचालित है।
मधुबनी पेंटिंग से सजाने वाले कलाकारों का चयन अधर में
शहर को मधुबनी पेटिंग से सजाया जाएगा। इस पर दो करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। सरकारी भवन, सार्वजनिक स्थल, दीवारों पर मधुबनी पेंटिंग के साथ कलाकृतियां उकेरी जाएंगी। इसके लिए कलाकारों के चयन की प्रक्रिया अधर में है।
शहर की सड़कों पर सिर्फ मिनी इलेक्ट्रिक बसें एवं ई-रिक्शा
स्मार्ट सिटी में शहर की सड़कों पर सिर्फ मिनी इलेक्ट्रिक बसों एवं ई-रिक्शा का परिचालन होगा। इस पर 4.11 करोड़ रुपये खर्च होंगे। डीपीआर तैयार कर लिया गया है। टेंडर की प्रक्रिया चल रही है।
कमांड एवं कंट्रोल सेंटर को जमीन चिह्नित, शुरू नहीं हुआ काम
स्मार्ट सिटी में सुरक्षा की विशेष व्यवस्था होगी। शहर में 11.50 करोड़ रुपये से कमांड एवं कंट्रोल सेंटर का निर्माण होना है। वीडियो सर्विलांस एवं डाटा सेंटर, रूम, डायल 100, कंट्रोल रूम, फारेंसिक इनवेस्टीगेशन रूम, आइटीएमएस रूम, स्टोरेज ऑफ फीडस यानि वीडियो डाटा रूम, नियंत्रण कक्ष आदि का बनना है। शहर के हर कोने में सीसीटीवी कैमरा होगा इस पर 21 करोड़ से अधिक रुपये खर्च होंगे। लेकिन यह कार्य अभी फाइलों में ही है।
नहीं शुरू हुआ सौर उर्जा से सरकारी भवन को रोशन करने का कार्य
स्मार्ट सिटी में सभी सरकारी भवनों के साथ रेलवे स्टेशन एवं बस स्टैंड सौर उर्जा से रोशन करना है। यह जिम्मेवारी बे्रडा को सौंपी गई है। भवनों को चिह्नित कर लिया गया है लेकिन काम आज तक शुरू नहीं हो पाया है।
एडवाइजरी कमेटी की सिर्फ एक बैठक
स्मार्ट सिटी मिशन की निगरानी के लिए शहरी स्तर पर 15 सदस्यीय एडवाइजरी कमेटी का गठन किया गया था। लेकिन छह माह में कमेटी की अब तक सिर्फ एक बैठक हुई है। कमेटी में स्थानीय सांसद, विधायक मेयर, डिप्टी मेयर, जिलाधिकारी समेत 15 सदस्य हैं।
सात स्थानों पर बनना है वेंडिंग जोन
शहर की सड़क ों को फुटपाथी दुकानदारों से मुक्त करने के लिए सात स्थानों पर वेंडिंग जोन का निर्माण होगा। लेकिन अब तक सिर्फ लक्ष्मी चौक के उत्तरी भाग में वेंडिंग जोन के निर्माण का डीपीआर तैयार हुआ है।
स्मार्ट सिटी में होना है सिर्फ ई-रिक्शा का परिचालन
स्मार्ट सिटी में शहर की सड़कों से ऑटो व मानव रिक्शा बाहर होंगे। उनकी जगह सिर्फ ई-रिक्शा का परिचालन होगा। स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत शहरी क्षेत्र में ई-रिक्शा के परिचालन को प्रोत्साहन देने की योजना पर काम चल रहा है।
इनकी निविदा प्रक्रिया पूरी, कार्यादेश का इंतजार
योजना प्राक्कलित राशि
- शहर में स्मार्ट सिटी बस एवं ई-रिक्शा स्टॉप का निर्माण : 12.28 करोड़
- अखाड़ाघाट से रेलवे स्टेशन तक पेरिफेरियल रोड का निर्माण : 16.74 करोड़
- स्टेशन से लक्ष्मी चौक होते हुए बैरिया तक सड़क निर्माण : 40.85 करोड़
- शहर में विभिन्न स्थानों पर वेंडिंग जोन का विकास : 5.06 करोड़
- पर्यटन सूचना केंद्र का निर्माण : 1.21 करोड़
- जुब्बा सहनी पार्क का विकास : 3.48 करोड़
- इंदिरा प्रियदर्शनी पार्क का विकास : 1.54 करोड़
- खबड़ा चिल्ड्रेंस पार्क का विकास : 1.15 करोड़ रुपये।