Move to Jagran APP

छठ व्रतियों ने किया खरना, 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू

महापर्व के दूसरे दिन व्रतियों ने सूर्यदेव को गुड़ की खीर व रोटी का भोग लगाया। इसके साथ ही छठ व्रतियों के 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो गया।

By Ajit KumarEdited By: Published: Mon, 12 Nov 2018 12:24 PM (IST)Updated: Mon, 12 Nov 2018 09:08 PM (IST)
छठ व्रतियों ने किया खरना, 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू
छठ व्रतियों ने किया खरना, 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू
मुजफ्फरपुर (जेएनएन)।  सोमवार की शाम को खरना के साथ ही छठी मइया की आराधना शुरू हो गई। महापर्व के दूसरे दिन व्रतियों ने पूरी श्रद्धा व भक्ति के साथ सूर्यदेव को गुड़ की खीर व रोटी का भोग लगाया। इसके साथ ही छठ व्रतियों के 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो गया। व्रतियों ने दिन भर उपवास रखने के बाद शाम को व्रतियों ने खरना किया। दोपहर बाद से ही खरना का प्रसाद तैयार होने लगा था। गुड़ की खीर व घीर में चुपड़ी रोटी से पूजा घर सुगंधित हो रहा था। छठव्रती महिलाएं गीत गाती हुई प्रसाद बना रही थीं। शाम ढलने के बाद श्रद्धा व भक्ति के साथ छठी मइया व सूर्यदेव की पूजा-अर्चना कर खीर व रोटी का भोग लगाया गया। फिर भगवान को नमन कर खुद भी प्रसाद ग्रहण किया। परिवार के सदस्यों के साथ ही आसपास के लोगों के बीच भी प्रसाद बांटे गए।
अस्ताचलगामी सूर्य को दिया जाएगा अर्घ्य 
सूर्योपासना के महापर्व छठ के तीसरे दिन मंगलवार की शाम व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को अघ्र्य अर्पित कर अपने व परिवार के कल्याण और निरोग रहने की कामना करेंगे। बुधवार की सुबह उगते सूर्य को अघ्र्य देकर यह महानुष्ठान संपन्न होगा। व्रतियां सुबह से ही प्रसाद तैयार करने में जुट जाएंगी। शाम को पूरी तैयारी और व्यवस्था कर बांस की टोकरी में अघ्र्य का सूप सजाकर व्रती अपने परिवार व सगे संबंधी के साथ घाट पर जाएंगे।
अर्घ्य देने से दूर होते कष्ट 
बैंक रोड स्थित मां वैष्णो ज्योति मंदिर के पुजारी आचार्य गौतम कृष्ण व चकबासु के राजेश उर्फ मुन्ना शास्त्री बताते हैं कि सूर्य षष्ठी व्रत की विशेषता यह है कि इसमें भगवान सूर्य को अघ्र्य देने से शारीरिक कष्ट दूर होते हैं। संध्या व प्रात:काल जल में खड़े होकर अघ्र्य देने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। माता षष्ठी पुत्रहीनों की गोद भरती हैं। सच्चे दिल से मांगी गई हर मुराद माता पूरी करती हैं। 
घाट जाने वाले मार्ग की बदली सूरत 
घरों की साफ-सफाई के साथ-साथ घाटों की ओर जाने वाले मार्ग की तस्वीर बदल चुकी है। व्रतियों के स्वागत में पूजा समितियां जोर-शोर से जुटी हैं। बूढ़ी गंडक किनारे छठ घाट हो या शहर व गांव में विभिन्न निजी छठ घाट, लोग घाट की सफाई से लेकर साज-सज्जा में पूरी श्रद्धा के साथ लगे हैं। व्रतियों को कोई परेशानी न हो, इसका पूरा ख्याल रखा जा रहा है। सड़कों व गली-मोहल्ले में छठी मइया के गीत गूंज रहे हैं, जिससे माहौल पूरी तरह भक्तिमय हो गया है।

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.