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परिवर्तन रैली में नेपाल का भी होगा प्रतिनिधित्व

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 25 जुलाई को प्रस्तावित परिवर्तन रैली की प्रशासनिक तैयारी पूरी कर ली गई है। गुरुवार को केंद्रीय कृषि मंत्री व रैली के प्रभारी राधामोहन सिंह ने तैयारियों को अंतिम रूप दिया।

By Pradeep Kumar TiwariEdited By: Published: Fri, 24 Jul 2015 12:28 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jul 2015 12:38 PM (IST)

मुजफ्फरपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 25 जुलाई को प्रस्तावित परिवर्तन रैली की प्रशासनिक तैयारी पूरी कर ली गई है। गुरुवार को केंद्रीय कृषि मंत्री व रैली के प्रभारी राधामोहन सिंह ने तैयारियों को अंतिम रूप दिया।

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नेपाल के सांसद लालबाबू गद्ी व मधेशी जनाधिकार फोरम के परसा (नेपाल) जिलाध्यक्ष प्रदीप यादव भी रैली में शिरकत करेंगे। प्रदीप ने कहा कि नेपाल में मधेशियों के साथ भेदभाव किया जा रहा है।

जो संविधान आ रहा है उसमें यह प्रावधान है कि भारतीय बेटी की शादी नेपाल में होगी तो उसको दूसरे दर्जे की नागरिकता मिलेगी। इस संदर्भ में हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप व सहयोग की मांग करेंगे।

राधामोहन सिंह ने कहा कि परिवर्तन रैली से प्रधानमंत्री बिहार में होने वाले राजनीतिक परिवर्तन का शंखनाद करेंगे। बिहार की जनता परिवर्तन चाहती है। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मन की सरकार बिहार में बनाने का संकल्प ले चुकी है।

मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि वे (नीतीश कुमार) स्वार्थी हैं, सिद्धांतवादी नहीं। लोहिया और जेपी जिस कांग्रेस के खिलाफ आजीवन लड़ते रहे उनके अनुयायी नीतीश आज कांग्रेस की गोद में बैठे हैं। जनादेश मिला भाजपा के साथ रहने का, लेकिन उससे अलग होकर नीतीश जंगलराज लाने वाले लालू प्रसाद के साथ मिल गए।

मनरेगा के पायलट प्रोजेक्ट में बिहार का चयन

पूर्वी चंपारण। केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन ङ्क्षसह ने कहा कि बिहार को केंद्र सरकार ने फिर एक तोहफा दिया है। मनरेगा के अंतर्गत सामाजिक वानिकी योजना के माध्यम से पायलट प्रोजेक्ट में बिहार का चयन किया गया है। गुरुवार को उन्होंने मुसहरी प्रखंड की सुस्ता पंचायत में योजना का शुभारंभ किया। योजना के तहत मुजफ्फरपुर जिले की हर पंचायत में 20 हजार पौधे लगाए जाएंगे।

प्रत्येक ग्राम पंचायत में हर 200 पौधे पर दो वनपोषक रखे जाएंगे। प्रत्येक 200 पौधे पर एक चापाकल भी लगाया जाना है। दोनों वनपोषकों को पांच साल तक 1400 रुपये प्रति माह दिए जाने हैं। 50-50 पौधों पर दोनों वनपोषकों का पांच साल के बाद स्वामित्व हो जाएगा।


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