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आरटीआइ के हथियार से व्यवस्था में बदलाव, हरिओम के चलते 50 मामलों में हुई कार्रवाई

उनकी कोशिश से सीतामढ़ी शहर से प्रखंड कार्यालय में शिफ्ट हुआ अंचल कार्यालय कार्य की लोग तारीफ किए बिना नहीं रहते।

By Ajit KumarEdited By: Published: Wed, 27 Feb 2019 07:44 PM (IST)Updated: Thu, 28 Feb 2019 10:00 AM (IST)
आरटीआइ के हथियार से व्यवस्था में बदलाव, हरिओम के चलते 50 मामलों में हुई कार्रवाई
आरटीआइ के हथियार से व्यवस्था में बदलाव, हरिओम के चलते 50 मामलों में हुई कार्रवाई

सीतामढ़ी, [नीरज]। सूचना का अधिकार कानून (आरटीआइ) को हथियार बनाया तो व्यवस्था में बदलाव आया। भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आए। पुल का निर्माण शुरू हुआ। सरकारी जमीन से कब्जा हटा। डुमरा प्रखंड के मेथौरा विशनपुर निवासी आरटीआइ कार्यकर्ता हरिओम शरण नारायण उर्फ संतोष के इस कार्य की लोग तारीफ किए बिना नहीं रहते। संतोष ने पांच साल में 300 से अधिक मामलों में आरटीआइ के तहत जानकारी मांगी।

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   इनमें 50 से अधिक पर कार्रवाई हुई। उनकी ही आरटीआइ के चलते सितंबर 2017 में बेली में लखनदेई नदी पर पुल का निर्माण शुरू हुआ। सदर अस्पताल के लिए चिन्हित और फाइलों में गुम जमीन मिल गई। इसके अलावा पेंशन का मामला हो या शिक्षकों के डीएलईडी के प्रशिक्षण और सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार का। उनके चलते कार्रवाई हुई। अधिकारियों को भरना पड़ा जुर्माना संतोष मूलरूप से डुमरा प्रखंड के बेली गांव के रहने वाले हैं।

   एलएलबी तक शिक्षा हासिल की है। सीतामढ़ी कोर्ट में प्रैक्टिस करते हैं। कॉलेज के दिनों में उन्होंने विभिन्न छात्र संगठनों का संयुक्त मोर्चा बनाकर छात्रों के लिए काम किया। बाद में एक राजनीतिक दल से जुड़े। साथ ही सामाजिक कार्यों में भाग लेने लगे। सरकार ने जब सूचना का अधिकार कानून लागू किया तो इसका भरपूर फायदा उठाया।

   पिछले पांच साल से वे आरटीआइ के जरिए लोगों को न्याय दिला रहे। सरकारी कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार सामने ला रहे। इसके चलते दो दर्जन से अधिक अधिकारियों को जुर्माना भरना पड़ा। इस कारण उन्हें कई बार धमकी भी मिल चुकी है, लेकिन पीछे नहीं हटते। डुमरा प्रखंड के बेली निवासी राजेश कुमार बताते हैं कि उनका दाखिल-खारिज नहीं हो रहा था।

  संतोष ने जब आरटीआइ के तहत सूचना मांगी तो काम आसानी से हो गया। डुमरा निवासी धर्मेंद्र कुमार, अजीत कुमार और गौरीशंकर ङ्क्षसह कहते हैं कि पूर्व में अंचल कार्यालय सीतामढ़ी शहर के अंचल गली में था, जबकि प्रखंड कार्यालय जिला मुख्यालय डुमरा में। बिहार के सभी जिलों में प्रखंड व अंचल कार्यालय एक ही जगह है।

   यहां अलग-अलग होने से लोगों को साढ़े पांच किमी का चक्कर काटना पड़ता था। अधिकारियों को आवेदन देने पर भी कार्रवाई नहीं हुई। आरटीआइ के जरिए सात साल तक हरिओम ने लड़ाई लड़ी। अपील दर अपील के बाद अप्रैल 2018 में अंचल कार्यालय को सरकार ने प्रखंड कार्यालय परिसर में स्थानांतरित किया।

    संतोष कहते हैं, उनकी कोशिश लोगों को न्याय दिलाना है। सूचना के अधिकार के प्रति लोग जागरूक हों तो उनकी बहुत सी समस्याओं का समाधान हो जाएगा। पूर्व सांसद सीताराम यादव और विधायक सुनील कुमार कुशवाहा उनके काम की सराहना करते हैं।


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