Move to Jagran APP

सीतामढ़ी के रीगा में 18 को किसान समागम को सफल बनाने को चलाया अभियान

संघ के उपाध्यक्ष ने विगत तीन दिनों से अगल- बगल के गांवों में किसानों से किए जा रहे संपर्क और समागम में आने के लिए दिए जा रहे आमंत्रण की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सिंघोरवा रामपुर बराही कुसमारी पंछोड़ आदि गांवों में जाकर किसानों के दरवाजे खटखटाए गए।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sun, 17 Oct 2021 05:11 PM (IST)Updated: Sun, 17 Oct 2021 05:11 PM (IST)
ईखोत्पादक संघ की कोर कमेटी की बैठक में लिया गया निर्णय। फोटो- जागरण

सीतामढ़ी, जासं।ईखोत्पादक संघ की कोर कमिटी की बैठक लोहिया आश्रम में संंघ के अध्यक्ष नागेन्द्र प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में हुई। बैठक में 18 अक्टूबर के रीगा किसान समागम की तैयारी, समागम में चर्चा के मुद्दे, नेशनल ट्रिमनल के आदेश पर विस्तार से चर्चा की गई। संघ के उपाध्यक्ष गुणानंद चौधरी ने विगत तीन दिनों से अगल- बगल के गांवों में किसानों से किए जा रहे संपर्क और समागम में आने के लिए दिए जा रहे आमंत्रण की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सिंघोरवा, रामपुर, बराही, कुसमारी, पंछोड़ आदि गांवों में जाकर किसानों के दरवाजे खटखटाए गए। पटरहिया, नरहा, बभनगामा, गणेशपुर बखरी गांव में संपर्क अभियान चलाया गया।संघ के पूर्व अध्यक्ष लखन देव ठाकुर ने बताया कि एएनसीएलआर, कोलकाता का 8 अक्तूबर के आदेश का पूर्ण अध्ययन किए बगैर गलत बयानबाजी करके कुछ लोग जानबूझकर भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। ट्रिब्यूनल का आदेश अनिल फिनान्स कंपनी बनाम रीगा सुगर कंपनी के बीच का है। मिल के जिम्मे बकाया 1 करोड़ 70 लाख तक की देनदारी को लेकर आदेश दिए गए हैं। मिल पर स्वामित्व या मिल चलाने को लेकर कोई जवाबदेही न तो उसके पास है और ना तो किसी अन्य किसी पक्ष ने किसान या मजदूर बकाया राशि के लिए ट्रिब्यूनल में अब तक कोई दावा पेश किया है। 

loksabha election banner

बैठक में अनुठालाल पंडित, राम विवेक सिंह, अशोक ठाकुर, मदन मोहन ठाकुर सुधीर कुमार ने रीगा चीनी मिल के जिम्मे बकाया करीब 120 करोड़ रुपये की वसूली के लिए हो रही दिक्कतों पर और सरकारी मशीनरी द्वारा बरती जा रही उदासीनता के साथ-साथ बड़े-बड़े पदधारी द्वारा की जा रही अनर्गल बयानबाजी गहरी चिंता व्यक्त की। संघ के अध्यक्ष नागेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा रीगा चीनी मिल से जुड़े करीब 5 लाख की आबादी पूरी तरह संकट में घिर गई है। बिहार सरकार का गन्ना उद्योग विभाग इस संकट से किसानों को उबारने में बिल्कुल नकारा साबित हो रहा है। पिछले साल से ही रीगा से बार-बार आवाज उठ रही है कि मिल को चालू करो, तभी बकाया राशि का भुगतान हो पाएगा। विभागीय मंत्री कह रहे हैं कि मिल को बेच देने से हीं समाधान हो सकता है । किसानों को इस साजिश को समझना चाहिए और अपने हक हुकुकू का समाधान ढूंढने के लिए 18 अक्तूबर को रीगा किसान समागम में जुटकर निर्णायक फैसला लेना चाहिए। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.