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BRA Bihar University: इस वजह से प्रायोगिक परीक्षा के मामले में विवि प्रशासन और शिक्षक आमने-सामने

BRA Bihar University विवि प्रशासन ने औसत दिए जाने का लिया है फैसला। परीक्षा कराने पर अड़े हैं शिक्षक मांग के समर्थन में दे चुके हैं धरना। परीक्षा फॉर्म के साथ ही प्रायोगिक परीक्षा का अंक पिछले परफॉर्मेंस के आधार पर मांगा गया था।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sun, 06 Dec 2020 06:41 AM (IST)Updated: Sun, 06 Dec 2020 06:41 AM (IST)
BRA Bihar University: इस वजह से प्रायोगिक परीक्षा के मामले में विवि प्रशासन और शिक्षक आमने-सामने
स्नातक की प्रायोगिक परीक्षा में औसत अंक देने के निर्णय का विद्यार्थियों ने स्वागत किया है। फाइल फोटो

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। BRA Bihar University: बीआरए बिहार विश्वविद्यालय की ओर से स्नातक की प्रायोगिक परीक्षा नहीं लेने के निर्णय पर डिग्री कॉलेज के शिक्षक और विवि के अधिकारी आमने-सामने आ गए हैं। शिक्षक एक ओर प्रायोगिक परीक्षा का आयोजन नहीं कराने पर आंदोलन की बात कह रहे। वहीं अधिकारी कोरोना का हवाला देकर परीक्षा नहीं कराने की बात कह रहे हैं। स्नातक पार्ट थर्ड की परीक्षा दो दिसंबर से शुरू हो गई है। इसके लिए परीक्षा फॉर्म के साथ ही प्रायोगिक परीक्षा का अंक पिछले परफॉर्मेंस के आधार पर मांगा गया था। कॉलेजों की ओर से इसे उपलब्ध भी करा दिया गया। लेकिन, अब शिक्षक इसे नियम के विरुद्ध बता रहे हैं। 

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मुख्य पेपर की परीक्षा ली जाएगी

राजभवन और यूजीसी की ओर से मिले निर्देश में विवि को इसका निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र छोड़ा गया था। परीक्षाओं के संचालन पर भी विवि को ही निर्णय लेना था। ऐसे में विवि की ओर से निर्णय लिया गया है कि प्रायोगिक परीक्षा में पिछले दो वर्षों में प्राप्त अंक के आधार पर ही औसत अंक देना है। जबकि, मुख्य पेपर की परीक्षा ली जाएगी। वहीं जीएस के पेपर की परीक्षा का आयोजन नहीं होगा। एमआइएल का पेपर ओएमआर सीट पर लिया जाएगा। बता दें कि डिग्री कॉलेज के शिक्षकों ने इसको लेकर दो दिन पूर्व विवि में धरना दिया था। साथ ही परीक्षा का आयोजन करने को लेकर राजभवन को भी पत्र लिखा था।

विवि का निर्णय बेहतर

स्नातक की प्रायोगिक परीक्षा में औसत अंक देने के निर्णय का विद्यार्थियों ने स्वागत किया है। उनका कहना है कि कोरोना संक्रमण से बचने के लिए यह विवि का सराहनीय कदम है। बीएससी की छात्रा आकांक्षा ने कहा कि प्रायोगिक परीक्षा के नाम पर ऐसे भी सिर्फ कोरम पूरा कराया जाता था। कॉलेज इसके बदले विद्यार्थियों से शुल्क भी लेते थे। अब इस वर्ष उन्हें फी नहीं मिलेगा। इसी को लेकर वे विरोध कर रहे हैं। परीक्षा नियंत्रक डॉ.मनोज कुमार ने इस संबंध में बताया कि राजभवन को इसकी जानकारी दे दी गई थी। वहां से भी इसकी स्वीकृति मिल गई है। ऐसे में प्रायोगिक परीक्षा में औसत अंक देना कहीं से गलत नहीं है।  


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