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मुजफ्फरपुर में प्रकाश पर्व के रूप में मनाया गया गुरु गोविंद सिंह की जयंती

भै काहू को देत नहि नहि भय मानत आन..मनुष्य को न तो किसी को डराना चाहिए और न किसी से डरना चाहिए का संदेश देने वाले गुरु गोविंद सिंह महाराज का जन्मोत्सव प्रकाश पर्व के रूप में मनाया गया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Jan 2021 02:40 AM (IST)Updated: Mon, 25 Jan 2021 02:40 AM (IST)
मुजफ्फरपुर में प्रकाश पर्व के रूप में मनाया गया गुरु गोविंद सिंह की जयंती

मुजफ्फरपुर। 'भै काहू को देत नहि, नहि भय मानत आन..','मनुष्य को न तो किसी को डराना चाहिए और न किसी से डरना चाहिए' का संदेश देने वाले गुरु गोविंद सिंह महाराज का जन्मोत्सव प्रकाश पर्व के रूप में मनाया गया। रमना स्थित श्री गुरु सिंह सभा गुरुद्वारा में जन्मोत्सव के अवसर पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। शबद-कीर्तन व गुरुवाणी से गुरुद्वारा गूंज उठा। जन्मोत्सव को लेकर सिख समुदाय उत्सवी माहौल में डूबे रहे। राहगीरों में लंगर बांटा गया। समुदाय के कई युवा इसमें श्रद्धा से जुटे रहे। काफी संख्या में राहगीरों ने गुरु का लंगर ग्रहण किया। गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी के सचिव सरदार गुरजीत सिंह साई ने अखंड पाठ का समापन किया। सतनाम कौर, मंजीत कौर गांधी, सतेंद्र पाल कौर आदि ने कीर्तन कर संगत को निहाल किया। रागी जत्था सरदार अरविंद सिंह ने शबद-कीर्तन किया। जो बोले सो निहाल.. से गुरुद्वारा गूंजता रहा। मौके पर सरदार पंजाब सिंह, सरदार जितेंद्र सिंह, सरदार सतेंद्र पाल सिंह, गन्नी सिंह,यशवंत सिंह, सरदार गुरजीत सिंह, सन्नी सिंह, बंटी सिंह आदि मौजूद रहे।

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गुरु गोविंद सिंह जी महाराज

ने की खालसा पंथ की स्थापना

गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष सरदार अवतार सिंह ने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी महाराज की शहादत के बाद गुरु गोविंद सिंह जी महाराज दसवें गुरु बने। उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की जो सिखों के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण दिन है। पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब को पूरा किया तथा उन्हें गुरु रूप में सुशोभित किया। वे एक महान लेखक, मौलिक चिंतक तथा संस्कृत सहित कई भाषाओं के ज्ञाता थे। उन्होंने कई ग्रंथों की रचना की। वे विद्वानों के संरक्षक थे। उनके दरबार में 52 कवियों तथा लेखकों की उपस्थिति रहती थी इसीलिए उन्हें संत सिपाही भी कहा जाता था। सदा प्रेम, एकता, भाईचारे का संदेश दिया। किसी ने उनका अहित करने की कोशिश भी की तो उन्होंने अपनी सहनशीलता, मधुरता, सौम्यता से उसे जीत लिया।


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