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पक्षी न रहें प्यासे, इसलिए लगा रहे पेड़ो पर प्याऊ

पक्षी प्यासे न रहें, इसलिए पीजी के छात्र विकास राज की पहल पर लोग पेड़ों पर प्याऊ लगवा रहे हैं। दो साल पहले शहर के ऐतिहासिक गांधी संग्रहालय से शुरू यह अभियान गांवों की ओर बढ़ चला है। कई स्कूलों ने भी इसे समर्थन दिया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Sep 2018 10:30 AM (IST)Updated: Thu, 20 Sep 2018 10:30 AM (IST)
पक्षी न रहें प्यासे, इसलिए लगा रहे पेड़ो पर प्याऊ
पक्षी न रहें प्यासे, इसलिए लगा रहे पेड़ो पर प्याऊ

मुजफ्फरपुर। पक्षी प्यासे न रहें, इसलिए पीजी के छात्र विकास राज की पहल पर लोग पेड़ों पर प्याऊ लगवा रहे हैं। दो साल पहले शहर के ऐतिहासिक गांधी संग्रहालय से शुरू यह अभियान गांवों की ओर बढ़ चला है। कई स्कूलों ने भी इसे समर्थन दिया है। इसमें चंपारण छात्र संगठन सहित पांच दर्जन से अधिक लोग जुड़ चुके हैं।

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मोतिहारी निवासी किसान के बेटे विकास को बचपन से ही पशु-पक्षियों से लगाव रहा है। काशी ¨हदू विश्वविद्यालय, वाराणसी से समाजशास्त्र से स्नातकोत्तर कर रहे विकास को वर्ष 2016 में वहां जीव संरक्षण की दिशा में एक मुहिम 'पंछी प्याऊ' की जानकारी मिली। इसका उद्देश्य पक्षियों के लिए एक विशेष प्रकार का प्याऊ लगाकर पानी प्रदान करना है। इसकी शुरुआत पत्रकारिता एवं जनसंप्रेषण विभाग के आचार्य डॉ. धीरेंद्र राय ने की थी। रस्सी के सहारे मिट्टी का बर्तन पेड़ पर लटकाकर रखते पानी :

प्रभावित विकास भी इस मुहिम से जुड़ गए। दो साल पहले छुट्टियों में घर आए तो इसकी शुरुआत की। चंपारण छात्र संघ का संयोजक होने के चलते विकास ने इस संगठन को भी इससे जोड़ दिया। शुरुआत में शहर में कुछ पेड़ों पर रस्सी के सहारे मिट्टी का बर्तन लटकाकर उसमें पानी रखा गया। एक-एक कर कुछ ही दिनों में 50 प्याऊ लग गए। करीब एक साल पहले पर्यटन मंत्री प्रमोद कुमार, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सह सचिव गांधी संग्रहालय ब्रजकिशोर ¨सह व यूथ आइकॉन केबीसी विजेता सुशील कुमार ने संयुक्त रूप से गांधी स्मारक एवं संग्रहालय में इस तरह का प्याऊ लगाया। अब तो इस मुहिम में पांच दर्जन से अधिक लोग जुड़ चुके हैं। मदर्स वैली पब्लिक स्कूल, हलचल किड्स प्ले स्कूल के अलावा छतौनी, पतौरा व बसतपुर सहित अन्य जगहों पर 150 से अधिक पक्षी प्याऊ लगाए गए हैं। समय-समय पर उसमें पानी भरने और रख-रखाव की जिम्मेदारी वहीं के लोगों को दी गई है।

तेजी से समाप्त हो रहे प्राकृतिक जलस्रोत : विकास कहते हैं, हमारे आसपास से पक्षियों का कलरव दिन-प्रतिदिन कम होता जा रहा है। इसका कारण तेजी से समाप्त हो रहे प्राकृतिक जलस्रोत भी हैं। प्याऊ लगाने से ज्यादा ध्यान उसके संरक्षण पर देना होता है। इसके लिए पहले ही आदमी तय किया जाता है। फिर इसे लगाया जाता है।

सूबे के पर्यटन मंत्री प्रमोद कहते हैं कि विकास राज का यह अभियान काफी बेहतर है। इसमें लोगों को आगे आना चाहिए।


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