Bihar News : लालू प्रसाद-तेजस्वी यादव के एक और विधायक की गई विधानसभा सदस्यता, इस मामले में की गई कार्रवाई
बिहार विधानसभा की सबसे बड़ी पार्टी राजद यानी राष्ट्रीय जनता दल के एक और विधायक की सदस्यता को समाप्त कर दी गई है। इस संबंध में बिहार विधानसभा सचिवालय की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गई है। इससे पहले मोकामा विधायक अनंत सिंह की सदस्यता चली गई थी।
मुजफ्फरपुर, आनलाइन डेस्क। Bihar Politics: बिहार विधानसभा की सबसे बड़ी पार्टी यानी राजद के लिए एक और बुरी खबर है। उसके एक और विधायक की सदस्यता को समाप्त कर दिया गया है। इस संबंध में बिहार विधानसभा सचिवालय की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गई है। यह कार्रवाई मुजफ्फरपुर की कुढ़नी विधानसभा सीट से विधायक व पूर्व राज्यसभा सदस्य अनिल कुमार सहनी के खिलाफ की गई है। उनको अवकाश एवं यात्रा भत्ता यानी एलटीसी घोटाले में दोषी करार दिया गया था। इसके बाद ही यह कार्रवाई की गई है।
अब उपचुनाव कराए जाएंगे
बिहार विधानसभा सचिवालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट की ओर से दोषी करार दिए जाने के बाद जनप्रतिनिधित्व कानून की विभिन्न धाराओं के तहत यह कार्रवाई की गई है। इस तरह से देखा जाए तो मोकामा के बाद एक और सीट राजद को गंवानी पड़ी है। तीन नवंबर को गोपालगंज विधानसभा सीट के साथ ही मोकामा में वोट डाले जाएंगे। अनिल सहनी की सदस्यता समाप्त होने के बाद अब कुढ़नी विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव कराए जाएंगे।
चुनाव से पहले राजद में शामिल हुए थे
विदत हो कि वर्ष 2013 में सीबीआइ ने अवकाश एवं यात्रा भत्ता के घोटाले से संबंधित एक केस दर्ज किया था। उस समय अनिल कुमार सहनी जदयू की ओर से राज्यसभा सदस्य बनाए गए थे। अनियमितता की बात सामने आने के बाद उनकी दूरी जदयू से बढ़ गई। वर्ष 2020 में बिहार विधानसभा चुनाव के समय उन्होंने राजद का दामन थाम लिया था। जहां से उन्होंने भाजपा प्रत्याशी केदार गुप्ता को परास्त कर विधायकी हासिल कर ली थी। उन पर आरोप था कि उन्होंने बिना यात्रा किए ही लाखों रुपये के भत्ते प्राप्त कर लिए। सीबीआइ से पहले सेंट्रल विजिलेंस कमीशन ने इस मामले की जांच की थी।
पहले भी विवादों से रहा है नाता
अनिल सहनी के बारे में यह भी कहा जाता है कि वर्ष 2005 के चुनाव के दौरान वे जदयू प्रत्याशी के लिए प्रचार कर रहे थे। इसी दौरान मतदाताओं को लुभाने के लिए रुपये बांटने का आरोप उनपर लगा। निर्वाचन आयोग के तत्कालीन सलाहकार केजे राव ने जब जांच के लिए उनकी गाड़ी रोकी थी, तो रुपये के बंडल को उन्होंने नाले में फेंक दिया था। बाद में नाले से चार लाख रुपये निकाले गए थे। उसके बाद चुनाव आचार संहिता का मुकदमा उनपर कायम किया गया था।