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मुजफ्फरपुर में स्वयं सहायता भत्ता योजना में बड़ा फर्जीवाड़ा

जिले में 144 विद्यार्थियों ने गलत शपथपत्र देकर उठाई राशि जांच के बाद बढ़ सकता है आंकड़ा। सभी बीईओ को मामले की जांच के निर्देश 12वीं पास 23 हजार लाभुक ले रहे हैं यह भत्ता। जिले में 23 हजार युवाओं को स्वयं सहायता भत्ता का लाभ दिया जा रहा है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sun, 28 Nov 2021 08:18 AM (IST)Updated: Sun, 28 Nov 2021 08:18 AM (IST)
मुजफ्फरपुर में स्वयं सहायता भत्ता योजना में बड़ा फर्जीवाड़ा
स्कूल या कालेज परित्याग के मूल प्रमाणपत्र के दुरुपयोग से शैक्षणिक संस्थान जांच के घेरे में।

मुजफ्फरपुर, [प्रेम शंकर मिश्रा]। जिले में मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना में फर्जीवाड़ा सामने आया है। गलत शपथपत्र देकर बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने योजना की राशि उठाई है। शुरुआती जांच में ऐसे 144 नाम पकड़ में आ गए हैं। इनसे राशि वसूली की कार्रवाई के साथ मामले की विस्तृत जांच की जा रही है। सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी (बीईओ) को लाभुकों की जांच कर रिपोर्ट देने को कहा गया है। जिला निबंधन सह परामर्श केंद्र (डीआरसीसी) की रिपोर्ट के अनुसार जिले में अभी 23 हजार युवाओं को स्वयं सहायता भत्ता का लाभ दिया जा रहा है। जांच में यह बात सामने आई है कि जिले के 144 विद्यार्थियों ने शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाई जारी रखने के बाद भी यह भत्ता लिया है। इस तरह 30 लाख रुपये से अधिक की राशि उनके खाते में चली गई है। सभी को नोटिस जारी होने के बाद पांच ने राशि भी वापस कर दी है। आशंका है कि यह संख्या काफी अधिक होगी।

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12वीं पास 20 से 25 आयु वर्ग के युवा को दिया जाता भत्ता

आर्थिक हल, युवाओं को बल के तहत स्वयं सहायता भत्ता योजना में 12वीं पास 20 से 25 आयु वर्ग के बेरोजगार युवा को प्रतिमाह एक हजार रुपये दिए जाते हैं। दो वर्ष तक यह राशि दी जाती है। एक युवा को 24 हजार रुपये भत्ता के रूप में प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के लिए दिया जाता है। इसके लिए 12वीं के बाद किसी शैक्षणिक संस्थान में नामांकन होने पर योजना का लाभ नहीं दिया जा सकता। इसके लाभ के लिए स्कूल या कालेज का मूल परित्याग प्रमाणपत्र (एसएलसी या सीएलसी) जमा करना होता है। अब फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद ऐसे शैक्षणिक संस्थान भी जांच के घेरे में आ गए हैं। सवाल उठ रहा कि यहां नामांकन के बाद भी मूल एसएलसी या सीएलसी विद्यार्थियों के पास कैसे है, क्योंकि नामांकन में इसका मूल प्रमाणपत्र रख लिया जाता है। सवाल यह भी उठ रहा कि मूल प्रमाणपत्र स्कैन कराकर तो इसे जाली तैयार तो नहीं कराया गया। डीआरसीसी प्रबंधक मनोज कुमार प्रधान ने कहा कि गलत शपथपत्र पर भत्ता लेने वालों की जांच कराई जा रही है। जो मामले पकड़ में आए हैं उनसे राशि की वसूली की जा रही है। छात्रों को इससे बचना चाहिए। स्वयं सहायता भत्ता लेने के बाद उन्हें स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना का लाभ नहीं मिल पाएगा। 


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