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अधूरे बांध व अवैध खनन से बिहार में तबाही ला रही बागमती Muzaffarpur News

बाढ़ से होनी वाली तबाही पर नेपाल-भारत नागरिक समाज की संयुक्त अध्ययन रिपोर्ट में निष्कर्ष। बाढ़ के बाद नदियों में दिख रहा बालू ही बालू हो रही बर्बादी।

By Ajit KumarEdited By: Published: Thu, 12 Sep 2019 11:04 AM (IST)Updated: Thu, 12 Sep 2019 11:04 AM (IST)
अधूरे बांध व अवैध खनन से बिहार में तबाही ला रही बागमती Muzaffarpur News
अधूरे बांध व अवैध खनन से बिहार में तबाही ला रही बागमती Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर,[अमरेंद्र तिवारी]। नेपाल से आने वाली बागमती नदी के अधूरे बांध व पहाडिय़ों में हो रहे निरंतर खनन के कारण मुजफ्फरपुर व इसके आसपास के जिले में भीषण बाढ़ और भारी तबाही हो रही है। नेपाल-भारत नागरिक समाज के संयुक्त अध्ययन रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। बाढ़ प्रबंधन को लेकर अध्ययन दल में शामिल नदी विशेषज्ञ नागेंद्र प्रसाद सिंह ने बताया कि रिपोर्ट नेपाल व भारत सरकार को सौंपी जाएगी ताकि स्थायी निदान हो।

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दोनों देशों में तबाही

-नेपाल में बागमती के दोनों किनारे पर बने तटबंध नेपाल सीमा के पास पश्चिमी तटबंध ब्रह्मपुरी तथा पूर्वी तटबंध छनकी टोला में छोड़ दिया गया। दोनों देशों के बांध के बीच करीब तीन सौ मीटर बाद बांध भारत के पूर्वी हिस्से में ढेंग तथा पश्चिमी हिस्से में मसाही के पास से शुरू है। अधूरे बांध के कारण बाढ़ के समय नदी अपने क्षेत्र से बाहर आकर दोनों देशों के लोगों को बुरी तरह प्रभावित कर रही है।

-नदी में बालू के कारण तटबंध पर बहाव का दवाब, कहीं-कहीं कटान और जोखिम क्षेत्र का निर्माण हो गया है।

-स्लूस गेट का उपयोग सही तरीके से सही जगहों पर नहीं हो पा रहा है।

-दोनों देशों की सरकारों के बीच बाढ़ व्यवस्थापन केसवाल पर गंभीर समन्वय नहीं होने की वजह से बाढ़ हो रही विकराल व आपदा के समय दोनों देश के सीमावर्ती जिलाधिकारी के बीच हॉट लाइन संवाद नहीं होने से बचाव पर असर।

-नेपाल के चूरे शिवालिक पर्वत श्रृंखला में खनन से नदी में आ रहा बालू। हालत यह है कि बाढ़ पहले पंकीली मिट्टी लाती थी। इससे खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ रही थी। अब वह प्रदूषित पानी लाती है जिससे फसल का नुकसान और खेतों की उर्वरक क्षमता कम हो रही है।

-बांध को ऊंचा करने के बदले बालू खनन की वैज्ञानिक प्रक्रिया को कड़े ढंग से लागू किया जाए ताकि नदी की गहराई बढ़े।

नदी से तटबंध के इन गांवों अध्ययन

नेपाल-भारत खुली सीमा संवाद समूह के सहयोग से जनकपुर धाम (नेपाल) की मदद से सीतामढ़ी जिले के पूर्वी तटबंध से जुड़े रूसलपुर, छनकी, जमला, पर्सा, श्रीनगर, बसपीढ़ा, ढेंग, मनियारी, बड़हरवा और पश्चिमी तटबंध क्षेत्र की आदमबान, मसाही और बैरगनिया में संपर्क-संवाद किया गया। नेपाल रौतहट जिले के गौर, राजदेवी , दुर्गा भगवती, माधवनारायण, गढ़ीमाई नगरपालिका क्षेत्र में पश्चिमी तटबंध की स्थिति का अवलोकन के साथ वहां पर जनसंवाद का आयोजन कर तबाही पर अध्ययन हुआ।

अध्ययन दल में हुए शामिल

बाढ़ पर अध्ययन दल में भारत की तरफ से अरुण दास और नागेंद्र प्रसाद सिंह और नेपाल की तरफ से चंद्रकिशोर, राजीव झा, कुशेश्वर और प्रेमचंद झा शामिल रहे।  


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