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राष्ट्रवाद के प्रति पूर्णत: समर्पित राजनेता थे अटल जी : राधामोहन सिंह

केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्री राधामोहन ¨सह ने कहा है कि भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी मन, कर्म और वचन से राष्ट्रवाद के प्रति पूर्णत: समर्पित राजनेता थे।

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 Aug 2018 02:49 PM (IST)Updated: Mon, 20 Aug 2018 02:49 PM (IST)
राष्ट्रवाद के प्रति पूर्णत: समर्पित राजनेता थे अटल जी : राधामोहन सिंह

मुजफ्फरपुर । केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्री राधामोहन ¨सह ने कहा है कि भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी मन, कर्म और वचन से राष्ट्रवाद के प्रति पूर्णत: समर्पित राजनेता थे। राजनीति में उनके कोई विरोधी नेता नहीं थे। प्रतिद्वंदी जरूर थे। देश हो या विदेश, अपनी पार्टी हो या विरोधी दल, सभी उनकी प्रतिभा के कायल थे। इस मायने में अटल जी अजातशत्रु थे। लगातार 9 दशकों से देश के सार्वजनिक जीवन पर उन्होंने अपने व्यक्तित्व और कृतित्व की अमिट छाप छोड़ी है। उनके विराट व्यक्तित्व में देश का करीब 9 दशकों का इतिहास समाया हुआ है। परमाणु बम के सफल परीक्षण तथा कारगिल युद्ध के समय प्रदर्शित उनकी दृढ संकल्प शक्ति ने पूरी दुनिया में भारत को अग्रणी राष्ट्रों की पंक्ति में शामिल किया।

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भारत के संसदीय लोकतंत्र को नए आयामों के साथ समृद्ध किया

वे न केवल प्रखर और ओजस्वी वक्ता थे, अपितु एक विशाल ह्रदय के व्यक्ति थे। उनकी संवेदनाएं, उनकी राजनीतिक जीवन में भी प्रकट होती रहीं। संसदीय परंपराओं का जीवन भर पालन कर उन्होंने भारत के संसदीय लोकतंत्र को नए आयामों के साथ समृद्ध किया। पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने उनमें भारत का भविष्य देखा था। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भी उनकी प्रतिभा को पहचानते हुए यह कहा था कि एक दिन वे भारत का नेतृत्व करेंगे। डॉ. राममनोहर लोहिया उनके हिन्दी प्रेम के प्रशंसक थे। पूर्व प्रधानमंत्री श्री चन्द्रशेखर उन्हें संसद में 'गुरूदेव' कहकर संबोधित करते थे। वाजपेयी जी को सर्वश्रेष्ठ सांसद पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।

देश की जनता को उन्होंने अपना अराध्य माना

राष्ट्रभक्ति की भावना, जनसेवा की प्रेरणा उनके नाम के ही अनुकूल अटल रही। भारत उनके मन में रहा, भारतीयता तन में। उन्होंने देश की जनता को अपना अराध्य माना। भारत के कण-कण, कंकर-कंकर, भारत की बूंद-बूंद को, पवित्र और पूजनीय माना।

जितना सम्मान, जितनी ऊंचाई अटल जी को मिली, उतने ही अधिक वे जमीन से जुड़ते गए। अपनी सफलता को कभी भी उन्होंने अपने दिमाग पर प्रभावी नहीं होने दिया। प्रभु से यश, कीर्ति की कामना अनेक व्यक्ति करते हैं। लेकिन, ये अटल जी ही थे जिन्होंने कहा - 'हे प्रभु! मुझे इतनी ऊंचाई कभी मत देना।

गैरों के गले ना लग सकूं, इतनी रूखाई कभी मत देना।'

उनके निधन से न केवल भारत, अपितु पूरी दुनिया से एक दूरदर्शी, परिपक्व, संवेदनशील, विशाल ह्रदय और ²ढ़ संकल्प वाला नेता हमारे बीच से चला गया। आज उनके दिखाए रास्ते पर चलकर भारत को एक महान राष्ट्र बनाने के उनके संकल्प को पूरा करने में हमें सहभागी बनना होगा। मंत्री श्री ¨सह पूर्वी चंपारण जिले के मोतिहारी शहर के राजेंद्र नगर भवन में भारत रत्न श्री अटल जी की याद में आयोजित श्रदांजलि सभा में बोल रहे थे। वहीं सभा में मौजूद लोगों ने अपने प्रिय नेता के लिए मौन रखा एवं उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की।


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