शिक्षक संघों का आरोप, नीतीश सरकार सेवाशर्त के नाम पर नियोजित शिक्षकों को ठग रही
कहा शिक्षक संगठनों को सरकार पर नहीं है भरोसा। अगर सरकार शिक्षकों की मुख्य मांगों को नहीं मानती है तो शिक्षक पुन आंदोलन को बाध्य होंगे।
दरभंगा, जेएनएन। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जनता को संबोधित करते हुए नियोजित शिक्षकों के लिए सेवाशर्त और ईपीएफ की घोषणा की थी। अब इस पर शिक्षकों की प्रतिक्रिया सामने आने लगी है। शिक्षक संघों ने मुख्यमंत्री की घोषणा को धोखा करार दिया है।
सेवा शर्त में कुछ भी खास नहीं रहने का अनुमान
इस संदर्भ में पूछने पर बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष सह जिलाध्यक्ष शंभू यादव ने कहा कि बिहार सरकार ने सेवाशर्त को शिक्षकों के लिए मृगतृष्णा बना दिया है। जिस प्रकार से रेत के मैदान में दूर कहीं पानी दिख जाता है। लेकिन, नजदीक जाने पर पता चलता है कि वहां मात्र रेत ही रेत है। ठीक उसी प्रकार से सेवा शर्त को प्रचारित-प्रसारित किया जा रहा है। इसमें निहित विषय के संदर्भ विभिन्न स्रोतों से जो जानकारी सामने आ रही है उसके अनुसार कुछ भी विशेष नहीं है।
अवमानना से बचने की कोशिश
बिहार सरकार पटना उच्च न्यायालय के आदेश के अवमानना से बचने के लिए नियोजित शिक्षकों को ईपीएफ का लाभ दे रही है। ईपीएफ के संदर्भ में शिक्षक पूर्व में ही न्यायदेश प्राप्त कर चुके हैं। ठीक उसी प्रकार अनुकंपा को लेकर चर्चाएं की जा रही हैं। इस संदर्भ में ज्ञात हो कि पूर्व में भी अनुकम्पा का प्रावधान था। इसे इसी सरकार ने खत्म किया था। पेंशन के रूप में शिक्षकों का पूर्व में ही यूटीआई पेंशन स्कीम में खाता खुला हुआ है। शिक्षक उसमें अपना अंशदान भी कर रहे हैं। हमारी लड़ाई नियमित शिक्षकों के भांति सेवाशर्त और वेतनमान की है। उससे कम हमें कुछ भी मंजूर नहीं है। सरकार को चाहिए कि वह अविलंब शिक्षकों की मांगों को पूरा करे।
सरकार शिक्षकों को कुछ भी नहीं देना चाहती
उपरोक्त बातों पर सहमति देते हुए बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ गोपगुट के जिला सचिव नंदन सिंह ने कहा कि सरकार की मंशा साफ है कि वह शिक्षकों को कुछ नहीं देना चाहती है। चुनावी वर्ष होने के कारण शिक्षकों के हाथ में झुनझुना थमाने की कोशिश कर रही है। टीईटी, एसटीईटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ गोपगुट के जिलाध्यक्ष प्रमोद मंडल ने कहा कि सेवाशर्त बाहर से भले हरा भरा लगे। लेकिन, अंदर से खोखला है। यह समझ में आ रहा है कि सरकार ने पांच वर्ष में मात्र खानापूर्ति की है। इनमें शिक्षकों के प्रति तनिक भी सहानुभूति नहीं है। बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रधान सचिव कमरे आलम, उपाध्यक्ष प्रशांत झा, प्रखंड सचिव बेनीपुर वीरेंद्र पासवान, टीईटी एसटीईटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ गोपगुट के जिला कार्यकारिणी सदस्य सोनू मिश्रा ने एक स्वर में नए सेवाशर्त के प्रति नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि अगर सरकार शिक्षकों की मुख्य मांगों को नहीं मानती है तो शिक्षक पुन: जोरदार आंदोलन को बाध्य होंगे।