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दरभंगा में पीएचडी कोर्स वर्क प्रमाण पत्र जारी मामले में दो लोगों पर कार्रवाई

Darbhanga news मिथिला विवि में नामांकन तिथि से पूर्व की तिथि में पीएचडी कोर्स वर्क की परीक्षा आयोजित एवं कोर्स वर्क प्रमाण पत्र निर्गत किए जाने व प्रमाण पत्रों में कुलसचिव के फर्जी हस्ताक्षर का प्रयोग मामले में विवि प्रशासन ने की कार्रवाई।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 11 Aug 2022 08:44 PM (IST)Updated: Thu, 11 Aug 2022 08:44 PM (IST)
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में फर्जीवाड़ा उजागर। फोटो-जागरण

दरभंगा, जागरण संवाददाता। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के पीएचडी (पैट-2020) के शोधार्थियों का कोर्स वर्क प्रमाण पत्र कुलसचिव के फर्जी हस्ताक्षर एवं मुहर का प्रयोग कर शोधार्थियों को जारी करने के मामले में गुरुवार को पीएचडी शाखा के दो डेलीवेजेज कर्मियों को हटा दिया गया है। साथ ही उक्त प्रकरण को लेकर पीएचडी शाखा के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को भी तलब कर फटकार लगाई गई। विवि मुख्यालय में गुरुवार के दिन कार्रवाई की खूब चर्चा रही।

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विवि के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि सिर्फ डेलीवेजेज कर्मियों तक ही कार्रवाई सीमित नहीं रहनी चाहिए। इसमें पीएचडी शाखा एवं परीक्षा विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की भी कहीं ना कहीं संलिप्तता जरूरी रही होगी, तभी जाकर इस तरह के फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया है। अगर इस प्रकरण की गहनता से जांच हुई तो कई और कार्रवाई के जद में आएंगे। बता दें कि पीएचडी शाखा की ओर से पैट-2020 के शोधार्थियों का कोर्स वर्क प्रमाण पत्र कुलसचिव के फर्जी हस्ताक्षर एवं मुहर के साथ बिना परीक्षा तिथि एवं वर्ष अंकित किए ही निर्गत किया जा रहा था। जानकार बताते हैं कि कोर्स वर्क प्रमाण पत्र में अगर परीक्षा की तिथि एवं वर्ष अंकित नहीं होगा तो उक्त प्रमाण पत्र का कोई औचित्य नहीं हो सकता है। इतना ही नहीं जानकार बताते हैं कि बिना परीक्षा तिथि एवं वर्ष वाले प्रमाण पत्र महत्वहीन हैं।

नामांकन की तिथि से पूर्व की तिथि में जारी किया गया कोर्स वर्क प्रमाण पत्र

पैट-2020 के लिए मार्च 2021 से नामांकन प्रारंभ हुआ था। जबकि विभिन्न विषयों के शोधार्थी को पीएचडी शाखा ने जनवरी 2021 की तिथि में कोर्स वर्क की परीक्षा सफलतापूर्वक संपन्न करने संबंधित प्रमाण पत्र जारी कर दिया है। प्रमाण पत्र को पूरी जांच पड़ताल के बाद जारी किया गया है। प्रमाण पत्र को विभागाध्यक्ष के हस्ताक्षर के बिना ही कुलसचिव के फर्जी हस्ताक्षर के साथ शोधार्थी को निर्गत कर दिया गया है। इतना ही नहीं संबंधित शोधार्थी ने अपना प्रमाण पत्र पीजीआरसी के लिए भी फाइल कर दिया है। इतना ही नहीं इसी वर्ष के शोधार्थी का पूर्व में भी रेगुलेशन-2018 लिखकर कोर्स वर्क प्रमाण पत्र भी निर्गत कर दिया गया था। पूर्व के कुछ शोधार्थियों द्वारा विरोध के बाद आनन-फानन में रेगुलेशन-2016 लिखकर फिर जारी किया गया था।

-पीएचडी कोर्स वर्क प्रमाण पत्रों में कुलसचिव का गलत तरीके से हस्ताक्षर एवं मुहर का प्रयोग मामले में दो डेलीवेजेज कर्मी को हटाया गया है। संबंधित सभी कर्मचारियों एवं अधिकारी को तलब किया गया। आगे से इस तरह की चूक होने पर संबंधितों पर कार्रवाई की जाएगी। -प्रो. मुश्ताक अहमद, कुलसचिव, लनामिवि, दरभंगा।


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