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महापर्व छठ से आत्मसंतुष्टि के साथ सुख संपत्ति का वास

बगहा (हरनाटांड़)। छठ पर्व को सदियों से आस्था का महापर्व कहा जाता रहा है। लोगों में यह आस्था है कि यदि छठ माता से श्रद्धा से जो कुछ भी मांगा जाता है तो मां उसे पूरा करती हैं और जब लोगों की मांगी दुआ मां पूरा कर देती हैं तो यह आस्था और अटूट हो जाता है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 08 Nov 2021 04:34 PM (IST)Updated: Mon, 08 Nov 2021 04:34 PM (IST)
महापर्व छठ से आत्मसंतुष्टि के साथ सुख संपत्ति का वास
महापर्व छठ से आत्मसंतुष्टि के साथ सुख संपत्ति का वास

बगहा (हरनाटांड़)। छठ पर्व को सदियों से आस्था का महापर्व कहा जाता रहा है। लोगों में यह आस्था है कि यदि छठ माता से श्रद्धा से जो कुछ भी मांगा जाता है तो मां उसे पूरा करती हैं और जब लोगों की मांगी दुआ मां पूरा कर देती हैं, तो यह आस्था और अटूट हो जाता है। तभी तो देश विदेश से हजारों कोस दूर बैठे लोग हर काम छोड़ इस पर्व में शामिल होने अपने गांव चले आते हैं। सूर्य उपासना के इस महापर्व छठ को लेकर हरनाटांड़ सहित समूचे क्षेत्र में उत्साह चरम पर है। सोमवार से ही नहाय खाय के साथ लोक आस्था के महापर्व छठ का शुभारंभ हो गया है। आज महिलाएं छठ व्रत के लिए खरना का व्रत रखकर प्रसाद बनाएंगी। तो दूसरी ओर बुधवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य दिया जाएगा। जबकि गुरुवार को उदीयमान सूर्य को अ‌र्घ्य देकर छठ व्रत को पूरा किया जाएगा। छठ को लेकर हरनाटांड़ बाजार में चहल-पहल बढ़ गई है। हरनाटांड़ में कई ऐसी महिलाएं हैं जो करीब 10 से 40 वर्षों से लगातार छठ करते हुए दशकोत्सव और रजतोत्सव मना रही हैं। छठी मैया की आस्था पर कुछ महिलाओं से बातचीत का एक अंश। कहती हैं छठ व्रतियां... पहले मेरी सास छठ करती थीं। उनके बाद वर्ष 2003 में इस परंपरा का निर्वहन करने का जिम्मा मैंने उठाया और बीते 18 वर्षों से छठ व्रत कर रही हैं। मन में इस पूजा को लेकर काफी उत्साह व श्रद्धा बन गई है। पर्व करने से आत्मसंतुष्टि के साथ परिवार में सुख सम्पति का वास होता है। मन्नत पूरी होने पर अपने आराध्य को अपनी आस्था और भक्ति प्रदर्शित करने का छठ पर्व एक माध्यम है।

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साधना जायसवाल, गृहिणी हरनाटांड़ मैं पिछले 44 वर्षों से छठ का पावन व्रत कर रही हूं। छठ माता मेरी हर मुराद पूरी करती हैं। इसलिए मुझे छठ का पर्व करते हुए गर्व होता है। पहले मेरी सास यह पावन व्रत करती थीं। उसके बाद मेरे परिवार से मैंने छठ व्रत करना शुरू किया। मेरी कामना है कि निरंतर मेरे परिवार में आस्था का पर्व छठ पूजा होता रहे। मेरे बाद मेरी बहुएं इस परंपरा को आगे बढ़ाएगी। आस्था व श्रद्धा के साथ पर्व की तैयारी में जुटी हुई हूं।

हीरा मिश्रा, हरनाटांड़ करीब चार दशक से भी अधिक दिन हुए मुझे छठ व्रत करते हुए। मेरी सास के बाद मैंने पर्व करने का बीड़ा उठाया है। पर्व करने से आत्मसंतुष्टि के साथ परिवार में सुख सम्पति का वास होता है। मेरा मानना है कि मन्नत पूरी होने पर अपने आराध्य को अपनी आस्था और भक्ति प्रदर्शित करने का छठ पर्व एक माध्यम है। यह पर्व हमारे परिवार का एक अभिन्न हिस्सा है। साल में यही एक मौका है जब इस पर्व पर मेरी दोनों बहुएं, बेटे-बेटियां और पोते पोतियां एकजुट होता है। जो काफी सुखदायक होता है।

राधा देवी, हरनाटांड़ छठ पूजा के दौरान मैं 36 घंटे तक निर्जला रहकर व्रत पूरी करती हूं। मेरे परिवार में छठ पर्व पूरी आस्था व भक्ति के साथ मनायी जाती है। मैं बीते 47 वर्षों से छठ व्रत कर रही हूं। मैं वर्षों से छठ पूजा को देखती और इसकी महिमा को जानती आ रही हूं। खुद कई बार मैंने इस पूजा में मांगे गए मन्नत को पूरा होते देखा है। इसलिए इसके प्रति आस्था बढ़ गई है। मैं आजीवन यह व्रत करूंगी।

कमला देवी, हरनाटांड़


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