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मुजफ्फरपुर के एक छात्र नेता कॉलेज की खाली सीट पर नामांकन के नाम पर कर रहे उगाही

दिनभर में एक-दो को नामांकन के लिए खोज निकालते और इसके बदले मोटी रकम वसूल लेते हैं। सूट-बूट और काला चश्मा लगाए ज्ञान केंद्र के गलियारे में विचरण करते नेताजी साथ में दो-चार अन्य साथियों को भी रखते हैं ताकि कोई उन्हेंं छुटभैया न समझे।

By Ajit kumarEdited By: Published: Wed, 27 Jan 2021 06:29 AM (IST)Updated: Wed, 27 Jan 2021 06:29 AM (IST)
कॉलेज की खाली सीटों को भरने के नाम पर अनियमितता की शिकायतें मिल रही हैं।

मुजफ्फरपुर, [अंकित कुमार]। एक प्रतिष्ठित कॉलेज से पढ़ाई के साथ छात्र राजनीति में पांव जमाने की कोशिश कर रहे युवा छात्र नेता को खाली सीट पर मानिए कुबेर के खजाने की चाबी हाथ लग गई हो। दिनभर में एक-दो को नामांकन के लिए खोज निकालते और इसके बदले मोटी रकम वसूल लेते हैं। इसका कुछ हिस्सा सेवादार को भी देते हैं ताकि वह आगे भी संपर्क में बना रह सके। सूट-बूट और काला चश्मा लगाए ज्ञान केंद्र के गलियारे में विचरण करते नेताजी साथ में दो-चार अन्य साथियों को भी रखते हैं ताकि कोई उन्हेंं छुटभैया न समझे। उनसे पहले से परिसर में सक्रिय वित्तीय सलाहकार के सामने आते ही पूछा आज कितना मुर्गा फंसा...। वित्तीय सलाहकार बोले आज तो एक भी हाथ नहीं आया। इसपर एक हाथ से बाल ठीक करते हुए चश्मा हटाया और पान की पीक से दीवार पर पेंटिंग करते हुए कहा आज तो चांदी रही तेरे भाई की...।

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नहीं आए काम तो बीच में किया रिटायर्ड हर्ट

ज्ञान केंद्र की एक बड़ी कुर्सी को संभाल रहे साहब को प्रधान ने बीच ओवर में ही रिटायर्ड हर्ट करा वापस बुला लिया। कहा जा रहा कि प्रधान ने सालभर तक खामोश रहने के बाद अब गियर बदला है। उनकी मर्जी के अनुकूल कार्य न होता देख एक साहब को अचानक उनके मूल स्थान पर भेज दिया। साहब को शाम तक पता नहीं था। वे अपने दायित्व को निभा रहे थे तभी प्रधान ने संदेश भेजकर उन्हें पारी समाप्त करने का निर्देश दिया। अब प्रधान का निर्देश था तो मानना ही था भारी मन से साहब ने कुर्सी छोड़ दी। अब नए साहब को कमान सौंप दी गई है। चर्चा है कि दो और साहबों को समय से पहले बुलाने की तैयारी है। इन कुर्सियों पर काबिज होने के लिए दूसरे खेमे में हलचल शुरू हो गई है।

बिना बताए निकले साहब, टोह लेने लगे सलाहकार

ज्ञान केंद्र के परीक्षा वाले साहब वार्षिक अनुष्ठान का परिणाम शीघ्र जारी कराने के उद्देश्य से पश्चिम दिशा की ओर गए। उन्होंने इसकी भनक अपने सेवादारों को भी नहीं लगने दी। अधीनस्थ ज्ञान केंद्रों में साहब ने स्थिति का जायजा लिया और कड़ी चेतावनी दी। पहली बार साहब के अचानक पहुंचने से हड़कंप मच गया। इधर, परिसर में सक्रिय वित्तीय सलाहकार टोह लेने लगे कि आखिर इतनी गोपनीयता के साथ साहब कहां गए। साहब के वापस लौटने पर परिणाम शीघ्र जारी कराने के लिए दौरे पर जाने की भनक लगी तो वित्तीय सलाहकार गोलबंद होने लगे। कारण यह कि दूसरी जगह यदि जांच की प्रक्रिया होगी तो उनका रास्ता ही बंद हो जाएगा। उनके इशारे पर छात्र नेताओं ने मोर्चा खोल दिया कि यदि मूल्यांकन बाहर हुआ तो आंदोलन होगा। फिलहाल जांच कहां होगी इसपर विचार हो रहा है।

प्रधान एक पर ही मेहरबान

ज्ञान केंद्र के प्रधान एक ही अधिकारी पर मेहरबान हैं। यह कहना है अधीनस्थ ज्ञान केंद्र के गुरुजी का। वे बताते हैं कि ज्ञान केंद्र में योग्य गुरुजी की कमी नहीं है, लेकिन पता नहीं क्यों प्रधान एक ही पदाधिकारी को इतनी तवज्जो दे रहे हैं। कई महत्वपूर्ण पदों को उनके हवाले किया गया है। इससे हर जगह कार्य प्रभावित हो रहा है। जिन विभागों में पदाधिकारी को प्रभारी की कुर्सी मिली है वहां भी उनकी कुर्सी को लेकर दबे स्वर में विरोध हो रहा है। प्रधान के निर्णय के आगे वे खुलकर बोल नहीं पा रहे हैं। कई गुरुजी प्रधान से मिलकर अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर रहे हैं। कई और पदाधिकारियों को इधर से उधर किया जा सकता है। आगे देखना दिलचस्प होगा कि पदाधिकारी को इन पदों पर आसीन रखा जाता है या गुरुजी के विरोध के स्वर मुखर होकर सामने आते हैैं।


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