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मुजफ्फरपुर में भीषण आग से पूरी बस्ती चढ़ी आग की भेंट, दर्जनभर लोग झुलसे

ज्यादातर घरों में रखे गैस सिलेंडरों के विस्फोट के साथ फटने से आग रौद्र रूप लेती चली गई और देखते ही देखते पूरी बस्ती आग की भेंट चढ़ गई।

By Ajit KumarEdited By: Published: Wed, 20 Mar 2019 11:58 AM (IST)Updated: Wed, 20 Mar 2019 11:58 AM (IST)
मुजफ्फरपुर में भीषण आग से पूरी बस्ती चढ़ी आग की भेंट, दर्जनभर लोग झुलसे
मुजफ्फरपुर में भीषण आग से पूरी बस्ती चढ़ी आग की भेंट, दर्जनभर लोग झुलसे

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। अहियापुर थाना क्षेत्र के शेखपुर ढाब बस्ती में मंगलवार की शाम हुई अगलगी में दर्जनों झोंपडिय़ां राख हो गईं। आग बुझाने में दर्जनभर लोग झुलस गए जबकि दर्जनों पशु-पक्षियों की मौत हो गई। ज्यादातर घरों में रखे गैस सिलेंडरों के विस्फोट के साथ फटने से आग रौद्र रूप लेती चली गई और देखते ही देखते पूरी बस्ती आग की भेंट चढ़ गई। दर्जनों परिवार बेघर हो गए। इसमें लाखों रुपये की संपत्ति के नुकसान का अनुमान व्यक्त किया गया है।

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 डीएम और एसएसपी ने देर रात वहां पहुंचकर पीडि़तों का हाल जाना। एसडीओ पूर्वी डॉ. कुंदन कुमार ने बताया कि अग्निपीडि़तों के पुनर्वास होने तक प्रशासन शिविर लगाकर भोजन-पानी का इंतजाम करेगा। बताया गया कि खाना बनाने के क्रम में चूल्हे की चिंगारी से सबसे पहले एक घर में आग लगी और देखते ही देखते दर्जनों घर स्वाहा हो गए। अग्नि पीडि़तों में मुन्ना सहनी, वरुण सहनी, पूजा देवी, रमेश पासवान, सकलदेव सहनी, सुरेंद्र महतो, श्याम कुमार, रोहित कुमार समेत कई लोगों के नाम शामिल हैं। अगलगी की सूचना पर दमकल विभाग की गाडिय़ां पहुंची लेकिन रास्ते की कमी से बस्ती तक नहीं पहुंच सकीं। दमकल की छोटी गाडिय़ों और स्थानीय लोगों की मदद से चार घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका।

पुलिस को सहना पड़ा विरोध

मौके पर अहियापुर, सिकंदरपुर ओपी समेत कई थानों की पुलिस पहुंची। पुलिस को उग्र लोगों के विरोध का भी सामना करना पड़ा। अगलगी के लिए कुछ लोग भूमि माफिया को जिम्मेवार बता रहे थे तो कुछ लोग इसे साजिश करार दे रहे थे। एक दिन पूर्व इस बस्ती में प्रशासन की ओर से बड़े पैमाने पर ऑपरेशन भी चलाया गया था। बाद में पुलिस अफसरों के समझाने पर उग्र लोग किसी प्रकार शांत हुए।

आग से बेघर लोग सड़क पर

अगलगी की इस बड़ी घटना से बेघर हुए परिवारों ने छोटे बच्चों व महिलाओं के साथ किसी प्रकार खुले आसमान के नीचे सड़क किनारे रात गुजारी। देर रात तक प्रशासन की तरफ से पुनर्वास की कोई व्यवस्था नहीं की जा सकी थी।


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