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550वां प्रकाश पर्व : भजन-कीर्तन व गुरुवाणी से गूंजा गुरुद्वारा, नगर विकास मंत्री ने टेका माथा

गुरु नानक देव जी हर धर्म को देते थे सम्मान बांटा मोहब्बत का पैगाम। गुरु नानक देव जी महाराज के 550 वें प्रकाशोत्सव के मौके पर गुरुद्वारा में सर्व धर्म सम्मेलन का आयोजन।

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Nov 2019 07:25 PM (IST)Updated: Tue, 12 Nov 2019 07:25 PM (IST)
550वां प्रकाश पर्व : भजन-कीर्तन व गुरुवाणी से गूंजा गुरुद्वारा, नगर विकास मंत्री ने टेका माथा

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। गुरु नानक देव जी महाराज के 550वें प्रकाशोत्सव के मौके पर रमना स्थित गुरुद्वारा में आयोजित सर्व धर्म सम्मेलन में वक्ताओं ने सौहार्द पर जोर दिया। गंगा-जमुनी तहजीब एवं धार्मिक सहिष्णुता पर जोर दिया। अनेकता में एकता को देश की विशिष्टता बताई। राम कृष्ण मिशन सेवाश्रम के सचिव स्वामी भावात्मानंद ने कहा कि गुरु नानक देव जी ने हर धर्म को सम्मान दिया। कर्म को प्रधानता दी। गरीब-मजबूरों को गले से लगाया। बाबा गरीब स्थान मंदिर के प्रधान पुजारी विनय पाठक ने कहा कि गुरु नानक देव जी की जिंदगी एवं संदेश एक धर्म ही नहीं सभी के लिए अनुकरणीय है। उन्हें धर्म के बंधन में बांधना उचित नहीं। पूर्व कुलपति डॉ. रिपुसूदन श्रीवास्तव ने कहा कि गुरु नानक जी के संदेश मानव कल्याण के है। उनका अनुकरण कर हम अपने जीवन को सार्थक करें। मौके पर नीतीश्वर सिंह महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रो. डॉ. अबुजर कमालुद्दीन, प्रजापिता ब्रह्माकुमारी की रानी दीदी, डॉ. पुष्पा कुमारी, श्रीरामकुमार निराला, पुरुषोत्तमलाल पोद्दार आदि ने भी गुरु नानक के जीवन एवं उनके संदेश पर विचार रखे। मंच संचालन गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष सरदार अवतार सिंह ने किया। सचिव सरदार गुरजीत सिंह साई जी, पंजाब सिंह, सरदार सतेंद्र पाल सिंह, सरदार जितेंद्र सिंह, डॉ. गुरजीत सिंह, सरदार हरि सिंह आदि मौजूद थे। रागी जत्था के भजन कीर्तन

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से निहाल हुई संगत

सुबह में सबसे पहले अखंड पाठ का समापन हुआ। सचिव गुरजीत सिंह साई जी ने इसका समापन किया। पंजाब सिंह ने कथा की। धनबाद से आई रागी जत्था जसप्रीत कौर ने भजन-कीर्तन से संगत को निहाल किया। भाई रवींद्र सिंह ने भी भजन-कीर्तन किया। उन्होंने गुरुद्वारा में मत्था टेका। प्रबंध कमेटी ने उनका स्वागत किया।

अयोध्या व करतारपुर कॉरिडोर

में गुरुनानक की कृपा : मंत्री

प्रकाशोत्सव में आए नगर विकास एवं आवास मंत्री सुरेश कुमार शर्मा ने कहा कि अयोध्या में मंदिर निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय एवं करतारपुर कॉरिडोर में गुरु नानक देव जी महाराज की कृपा है। सूफी-संतों ने देश को एकता एवं भाईचारे की डोर में बांधा है। कहा कि गुरु नानक देव जी के लिए मनुष्य एवं उनका कल्याण सर्वोपरि था। उन्होंने सबको एक ईश्वर की संतान माना। गुरु नानक देव जी ने जात-पात

को दूर करने को शुरू की लंगर

गुरु नानक देव जी महाराज की शादी 1485 में हुई। उनके दो पुत्र थे। गुरु नानक के पिता ने उन्हें कृषि, व्यापार आदि में लगाना चाहा किन्तु यह सारे प्रयास नाकाम साबित हुए। पिता ने उन्हें घोड़ों का व्यापार करने के लिए जो राशि दी, नानक जी ने उसे साधु सेवा में लगा दिया। कुछ समय बाद नानक जी अपने बहनोई के पास सुल्तानपुर चले गए। परमात्मा ने उन्हें अमृत पिलाया और कहा- मैं सदैव तुम्हारे साथ हूं, जो तुम्हारे संपर्क में आएंगे वे भी आनंदित होंगे। जाओ दान दो, उपासना करो, स्वयं नाम लो और दूसरों से भी नाम स्मरण कराओ। इस घटना के बाद वे धर्म का प्रचार करने लगे। देश के विभिन्न हिस्सों के साथ ही विदेशों की भी यात्राएं की। बाद में वे करतारपुर में बस गए और 1521 ई. से 1539 ई. तक वहीं रहे।

गुरु नानक देव जी ने जात-पात को समाप्त करने और सभी को समान दृष्टि से देखने की दिशा में कदम उठाते हुए लंगर की प्रथा शुरू की थी। लंगर में छोटे-बड़े, अमीर-गरीब एक ही पंक्ति में बैठकर भोजन करते हैं। गुरु नानक देव जी का निधन सन 1539 में हुआ।


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