मुजफ्फरपुर में एईएस से ग्रसित 55 बच्चों में 38 हाइपोग्लाइसिमिया से पीडि़त
हाइपोग्लाइसिमिया से पीड़ित बच्चों के रक्त में ग्लूकोज की मात्रा 50 मिलीग्राम प्रति डीएल से कम हो जाती है। सरकार प्रचार-प्रसार से फैला रही जागरूकता। चमकी पर धमकी अभियान चल रहा। बच्चों को कुपोषण से बचाने का सुझााव भी दिया जा रहा है।
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से ग्रसित बच्चों में हाइपोग्लाइसिमिया के लक्षण मिल रहे हैं। इसमें बच्चे के रक्त में ग्लूकोज की मात्रा 50 मिलीग्राम प्रति डीएल से कम हो जाती है। यह जानलेवा स्थिति होती है। इस साल अबतक 55 बच्चे एईएस से ग्रसित हुए, इनमें 38 को हाइपोग्लाइसिमिया से पीडि़त पाया गया है। एईएस पीडि़त बच्चों का इलाज करने वाले व शोध कर रहे वरीय शिशु रोग विशेषज्ञ डा. अरुण शाह ने बताया कि भारतीय बाल अकादमी की ओर से क्रिश्चन मेडिकल कालेज, वेल्लोर से जुडे अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त चिकित्सक डा. जैकाब जान ने 2012 से 2014 के बीच बीमारी पर शोध किया था। उनकी रिपोर्ट सरकार को गई और सरकार ने सुझाव माना। सुझाव यह था कि बीमार बच्चों में हाइपोग्लाइसीमिया मिल रही है, इसलिए जो बच्चे बीमार होकर आ रहे उनको ग्लूकोज दिया जाए। उसका असर यह रहा कि अब अधिकांश बीमार बच्चे बच रहे हैं। इसके साथ सुझाव यह भी था कि बच्चों को रात में भूखे पेट न सोने दें और घर का बना हुआ भोजन ही उन्हें खिलाएं।
इस दिशा में सरकार ने कदम उठाए, प्रचार-प्रसार हुआ और चमकी पर धमकी अभियान चल रहा है। यह भी देखा जा रहा है कि कुपोषित बच्चे एईएस की चपेट में आ रहे हैं। सरकार इस दिशा में ठोस रणनीति बनाकर काम करे तो बच्चों को इस बीमारी से बचाव में मदद मिलेगी।
बगैर लिए पूर्ण टीकाकरण के संदेश में होगा सुधार
मुजफ्फरपुर : कोरोना की दूसरी व बुस्टर डोज लिए बगैर अगर आपको पूर्ण टीकाकरण का संदेश आ जाए तो अब उसमें सुधार की व्यवस्था कर दी गई है। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डा. एके पांडेय ने बताया कि पहले हर दिन दो से चार लोग ऐसे कार्यालय में आ रहे थे, जिन्हें वैक्सीन लगा नहीं और मैसेज चला गया। इसमें उन्हें जहां से वैक्सीनेशन का मैसेज आया था, वहीं जाकर वैक्सीन लेना पड़ा था। लेकिन इस बदलाव के बाद अब कहीं जाने की जरुरत नहीं पड़ रही है। लोग अपने मैसेज बाक्स में जाकर ङ्क्षलक के जरिए सुधार कर सकते हैं।