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स्मार्ट सिटी मुजफ्फरपुर स्वच्छता सर्वेक्षण रैंकिंग में क्यों लगातार पिछड़ रहा?

Smart City Muzaffarpur Update स्वच्छता सर्वेक्षण के बाद केंद्र सरकार द्वारा जारी सूची में शहर को 250 वां स्थान मिला था। बीते सालों की बात करें तो 2017 में शहर को देशभर में 304 2018 में 348 2019 में 387 व 2020 में 299वां स्थान मिला था।

By Ajit KumarEdited By: Published: Thu, 13 Jan 2022 06:32 AM (IST)Updated: Thu, 13 Jan 2022 06:32 AM (IST)
Smart City Muzaffarpur Update:स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 की रैंकिंग में शहर को 372 शहरों में मिला था 250 वां स्थान।

मुजफ्फरपुर,जागरण संवाददाता। स्मार्ट सिटी की मासिक रैंकिंग में शानदार प्रदर्शन के बाद अब नगर निगम के सामने स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 की रैंकिंग में बेहतर करने की चुनौती है। स्मार्ट सिटी की रैंकिंग में शहर ने एक माह में 27 स्थान का इजाफा करते हुए सौ स्मार्ट शहरों में 55 वां स्थान हासिल किया है। दिसंबर में शहर 82 वें स्थान पर था। स्वच्छता सर्वेक्षण की बात करते तो शहर की रैंकिंग बहुत खराब रही है। स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 में शहर 372 शहरों में 250 वें स्थान पर था जबकि कई छोटे शहर आगे थे। 

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स्वच्छता सर्वेक्षण में रहा है शहर का खराब प्रदर्शन

देश के साफ शहरों की सूची में मुजफ्फरपुर का प्रदर्शन हमेशा खराब रहा है। स्मार्ट सिटी होने के बावजूद शहर बेहतर रैंकिंग हासिल नहीं कर सका है। बीते वर्ष एक से 10 लाख तक की आबादी वाले 372 शहरों में कराए गए स्वच्छता सर्वेक्षण के बाद केंद्र सरकार द्वारा जारी सूची में शहर को 250 वां स्थान मिला था। बीते सालों की बात करें तो 2017 में शहर को देशभर में 304, 2018 में 348, 2019 में 387 व 2020 में 299वां स्थान मिला था।

संसाधनों की नहीं है कमी, कार्यप्रणाली में सुधार की दरकार

स्वच्छता सर्वेक्षण में बेहतर रैंकिंग प्राप्त करने के लिए निगम के पास योजना भी है और पर्याप्त संसाधन भी। कमी है तो निगम की कार्यप्रणाली एवं जन सहयोग की। बीते एक सालों में नगर निगम सफाई के आधुनिक सुविधाओं से लैस हुआ है। निगम के पास पर्याप्त संख्या में टै्रक्टर, आटो टिपर, जेसीबी, कम्पैक्टर, बाबकट, हाईवा, सुपर साकर मशीन, रोड स्वीपर समेत अन्य आधुनिक उपकरण हैं। सफाई कर्मचारियों की संख्या भी पर्याप्त है। पांच साल पहले जहां निगम में सफाईकर्मियों की संख्या सात सौ के करीब थी वह बढ़कर दो हजार के करीब पहुंच गई है। शहर की सफाई आठ की जगह दस अंचलों में बांटकर हो रही है। रौतनिया कचरा डंपिंग साइट का विवाद समाप्त हो चुका है। कचरे से खाद बनाने की योजना पर काम चल रहा है। निजी एजेंसी के माध्यम से प्लास्टिक कचरे से डीजल एवं पेट्रोल बनाने का प्लांट काम कर रहा है। बड़े पैमाने पर कचरे से प्लास्टिक कचरे को अलग कर फिर से उपयोग के लिए भेजा जा रहा है। डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन भी हो रहा है। पर्याप्त संख्या में शौचालय का निर्माण कराया गया है। दर्जनों की संख्या में चलंत शौचालय की खरीद हुई है। लेकिन इन संसाधनों का समुचित उपयोग नहीं हो पा रहा है। योजनाओं पर ठीक से काम नहीं चल रहा है। निगम के जनप्रतिनिधि इसको लेकर सजग नहीं हैं। नगर आयुक्त की योजनाएं राजनीतिक उठापटक में फंस जा रही हैं। यदि शहर की साफ-सफाई को लेकर निगम की कार्यप्रणाली में सुधार हो जाए तो शहर देश के शीर्ष पचास शहरों में शामिल होगा।

लोगों में जागरूकता का अभाव सबसे बड़ी बाधा

स्वच्छता रैंकिंग में सुधार नहीं होने का एक और बड़ा कारण लोगों में जागरूकता की कमी है। तमाम अभियान के बाद भी नगर निगम साफ-सफाई के प्रति लोगों को जागरूक नहीं कर पाया है। लोग शहर की सफाई की जिम्मेदारी सिर्फ निगम की मानते हैं। अपनी जवाबदेही नहीं समझते। वे घर एवं दुकान की सफाई कर कचरा या तो सीधे सड़क पर फेंक देते हैं या फिर नाले में डाल देते हैं। अपने आसपास की सफाई को अपनी जिम्मेवारी नहीं समझते हैं। सर्वेक्षण के दौरान अपना पक्ष नहीं रखते। इसका नुकसान निगम को उठाना पड़ता है। नगर आयुक्त विवेक रंजन मैत्रेय ने कहा कि उनका अगला लक्ष्य स्मार्ट सिटी रैंकिंग की तरह ही स्वच्छता रैंकिंग में बेहतर करना है। इसके लिए प्रयासरत हैं। यदि इस चुनौती का सामना करने में सबका सहयोग मिले तो इसमें भी हम बेहतर करेंगे।


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