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ड्रिप स्प्रिंकल किसानों के लिए बनेगा वरदान, 30 से 50 फीसद पानी की होगी बचत

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना अंतर्गत इस तकनीक को अपनाने पर मिलेगा 90 प्रतिशत अनुदान। जिले में अब तक 75 एकड़ में लगाया जा चुका मिनी स्प्रिंकलर। ड्रिप सिंचाई पद्धति के तहत जिले में 900 एकड़ भूमि में मिनी स्प्रिंकलर लगाए जाने का लक्ष्य निर्धारित है।

By Ajit kumarEdited By: Published: Wed, 20 Jan 2021 09:14 AM (IST)Updated: Wed, 20 Jan 2021 09:14 AM (IST)
ड्रिप स्प्रिंकल किसानों के लिए बनेगा वरदान, 30 से 50 फीसद पानी की होगी बचत
प्रधानमंत्री सिचाई योजना अंतर्गत ड्रिप सिचाई स्प्रिंकल लगाने की योजना है। फोटो : जागरण

समस्तीपुर, जागरण संवाददाता। किसानों को हर दृष्टि से फायदेमंद ड्रिप सिंचाई के प्रति आकर्षित करने के लिए विभागीय कवायद तेज हो गई है। ड्रिप सिंचाई पद्धति से किसानों को फायदा मिलेगा। ड्रिप सिंचाई पद्धति के तहत जिले में 900 एकड़ भूमि में मिनी स्प्रिंकलर लगाए जाने का लक्ष्य निर्धारित है। फिलहाल जिले में योजना की शुरुआत होने के बाद से अब तक 75 एकड़ में मिनी स्प्रिंकलर लगाया जा चुका है। इसे लगाने में प्रति एकड़ 13 से 14 हजार रुपये खर्च आता है। किसान इस योजना के व्यवहारिक पहलू से अवगत हो पाएंगे। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना अंतर्गत इस तकनीक को अपनाने पर 90 प्रतिशत अनुदान भी दिया जाएगा। शेष दस प्रतिशत तथा कुल व्यय का जीएसटी का भुगतान संबंधित संस्थान व किसानों को करना पड़ेगा।

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डीबीटी पोर्टल पर किसान भर सकते है आवेदन

पीएम कृषि सिंचाई योजना का लाभ लेने के लिए किसान उद्यान विभाग की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते है। योजना का लाभ लेने के लिए डीबीटी पोर्टल पर आवेदन भरा जाएगा। योजना के अंतर्गत अनुदान का लाभ लेने के लिए किसान स्वयं पूरी राशि लगाकर अपना-अपना अनुदान की राशि बताकर शेष राशि भुगतान कर सकेंगे। किसान अपने मनपसंद की कंपनी का चयन पोर्टल पर आवेदन करते समय ही कर सकते हैं। जीएसटी पर अनुदान देय नहीं होगा। इसके लिए किसान के पास एक अप्रैल 2017 के बाद का एलपीसी होना चाहिए। एलपीसी नहीं रहने की स्थिति में खाता व खेसरा अंकित किया हुआ ऑनलाइन रसीद होना चाहिए।

पानी की बचत व उत्‍पादन में वृद्वि

इस विधि से सभी तरह की खेती की जा सकती है। इसमें पानी की भी बचत होती है और उत्पादन भी बढ़ता है। ड्रिप सिंचाई पद्वति में मद गति से बूंद-बूंद कर प्लास्टिक के पाइप से फसलों की जड़ में पानी दिया जाता है। इस योजना से जल की हानि कम से कम होती है। वर्तमान विधि द्वारा उपलब्ध सिंचाई योग्य पानी में संपूर्ण कृषि योग्य भूमि का केवल 50 फीसदी क्षेत्र सिंचित हो सकता है, जबकि माइक्रो सिंचाई पद्धति ड्रिप सिंचाई से 30 से 50 वर्ष तक की पानी की बचत की जा सकती है। इससे 20 से 30 प्रतिशत उत्पादन क्षमता में भी वृद्वि होती है।

फसल के अनुरुप व्यवस्था का विकल्प

ड्रिप सिंचाई पद्धति द्वारा पौधे की किस्म व खेती के प्रकार, क्षेत्रफल, स्थान विशेष की भूमि एवं जलवायु के परिप्रेक्ष्य में जल की आवश्यकता को ध्यान में रखा जाता है। आवश्यकता के अनुरूप उपयुक्त डिजाइन द्वारा जल की सही मात्रा ,सही स्थान यानी पौधे की स्थिति के अनुसार पानी दिया जा सकता है। पौधे मे जरूरत पडऩे पर घुलनशील पोषक तत्व और रासायनिक खाद भी पानी में घोलकर पौधे की जड़ों तक पहुंचाई जा सकती है। इस पद्धति में पानी की मात्रा नदियों द्वारा जल स्रोत से पौधे की जड़ों तक विशेष प्रकार की उत्सर्जक युक्ति स्पीकर माइक्रो स्प्रिकंलर,माईको स्प्रेयर, पोटेंबल रेनगन, भूमि स्थान विशेष में भूमि फसल की अवस्था के अनुरूप की जाती है। जिला उद्यान पदाधिकारी अजय कुमार सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री सिचाई योजना अंतर्गत ड्रिप सिचाई स्प्रिंकल लगाने की योजना है। यहां ड्रिप सिंचाई की व्यवस्था का मकसद किसानों को इस पद्वति से रूबरू कराते हुए उन्हें इसके लिए प्रेरित करना है। इस योजना में पानी के बचत के साथ उत्पादन में भी वृद्धि होती है। किसानों को इस योजना में 90 प्रतिशत अनुदान देने का प्रावधान है। 


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