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कहीं आपकी सेहत न बिगाड़ दे कार्बाइड से पका आम

आंध्रप्रदेश उड़ीसा बंगाल और मद्रास के आम से पटी मुजफ्फरपुर की मंडी। अहियापुर बाजार समिति में दस से पंद्रह टन प्रतिदिन पहुंच रहे आम।

By Ajit KumarEdited By: Published: Fri, 17 May 2019 03:33 PM (IST)Updated: Fri, 17 May 2019 03:33 PM (IST)
कहीं आपकी सेहत न बिगाड़ दे कार्बाइड से पका आम
कहीं आपकी सेहत न बिगाड़ दे कार्बाइड से पका आम

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। मुजफ्फरपुर के बगीचों में अभी आम पके नहीं हैं लेकिन बाजार कई किस्म के आमों से पट गए हैं। इनमें गुलाब खास, बेदाम, हेमसागर, मुंबई और कोकीन, मालदह मुख्य रूप से शामिल हैं। मुजफ्फरपुर की मंडी में आंध्रप्रदेश, उड़ीसा, बंगाल और मद्रास से करीब दस से पंद्रह टन कच्चे आम प्रतिदिन पहुंच रहे हैं। इन्हें कार्बाइड से पकाकर बाजार में सजाया जा रहा है। समय से पहले बाजार में उतरे ये आम एक तो खाने में कम मीठे हैं उपर से स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक हैं। व्यवसायी अपनी आमदनी के चक्कर में लोगों की सेहत बिगाड़ रहे हैं। थोक और खुदरा मंडी में आम के भाव का अंतर भी दोगुने का है।

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  उद्यान रत्न किसान भोलानाथ झा बताते हैं कि मई के अंतिम सप्ताह से मालदह को बाजार में आना चाहिए। क्योंकि अभी जो बाजार में मालदह दिख रहा है। उसका वजन 150 से 250 ग्राम के बीच का है। जबकि सीजन में जो मालदह बाजार में आता है उसका वजन 300 से 500 ग्राम के बीच होता है। बाजार समिति फल आढ़ती संघ के संयुक्त सचिव नंदू प्रसाद के अनुसार प्रतिदिन दस से पंद्रह टन आम मुजफ्फरपुर के बाजार में आ रहे हैं। आम का सीजन एक सीमित समय के लिए होता है। ग्राहक आम का सीजन मानकर इसे खरीद रहे हैं।

दोनों में रहता अलग अंतर

रसायन से पकाए गए आम को खाते ही मुंह में थोड़ी जलन, गले में जकडऩ, पेट में दर्द व दस्त जैसी समस्याएं आम हैं। रसायन से पकाए आम के रंग व स्वाद में भी फर्क आ जाता है। रसायन से पकाए आम में या तो पीले भाग में धब्बे से पड़ जाते हैं या फिर एक रंग का नजर नहीं आता है। ऐसे आम बहुत जल्दी खराब होने लगते हैं, वहीं प्राकृतिक ढंग से पके आम का रंग एक जैसा होता है। यह प्राकृतिक रूप से चमकीला होता है। ऐसे आम का बाहरी भाग पीला होता है लेकिन अंदर गुदे में कमी रहती है।

जुर्माना व सजा का प्रावधान

खाद्य संरक्षा अधिकारी सुदामा चौधरी ने बताया कि फूड सेफ्टी एवं स्टैंडर्ड एक्ट में खाद्य पदार्थो को अप्राकृतिक ढंग से पकाना गलत है। ऐसे मामलों में खाद्य पदार्थो के असुरक्षित पाए जाने पर छह माह तक की सजा का प्रावधान है। इसकेअतिरिक्त दो लाख रुपये तक के जुर्माने तक का भी प्रावधान है।

स्वास्थ्य के लिए हानिकारक

मेडिसीन विशेषज्ञ डॉ. नवीन कुमार ने बताया कि कैल्शियम कार्बाइड से पकने वाला आम हानिकारक होता है।

अभी बाजार से जो भी आम लाएं उसको अच्छे तरीके से धोना चाहिए। ऐसे आम खाने से गले व पेट संबंधी परेशानी होती है।

बाजार में बिक रहे आम

गुलाब खास, मुम्बइया, मालदह, हेमसागर मुख्य रूप से बिक रहे हैं। बाजार में आम की थोक कीमत 30 से 45 रुपये प्रतिकिलो और खुदरा बाजार में 70 से 90 रुपये प्रतिकिलो के बीच है।

नहीं मिली अबतक कोई शिकायत: सीएस

सिविल सर्जन डॉ. शैलेश कुमार सिंह ने कहा कि बाजार में बिकने वाले आम के संबंध में अभी कोई शिकायत नहीं मिली है। शिकायत मिलने पर नमूना संग्रह कर जांच होगी। हानिकारक रसायन से आम पकाने की बात प्रमाणित होने पर कार्रवाई होगी।

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