भीषण जल संकट से जूझ रहे लोग, टैंकर से सप्लाई, सूख गए सभी चापाकल
400 फीट नीचे गया जलस्तर। पास से गुजरने वाली पांच नदियों में भी पानी नहीं। एक लाख की आबादी वाले मुरौल प्रखंड में महज दो टैंकरों से पहुंच रहा पानी।
मुजफ्फरपुर, [मुकेश कुमार 'अमन']। जिस क्षेत्र से होकर पांच-पांच नदियां बहती हैं, वहां एक बूंद-बूंद पानी के लिए लोग तरस रहे हों तो स्थिति की गंभीरता समझती जा सकती है। मुरौल व सकरा प्रखंड में ऐसा ही हाल है। यहां की डेढ़ लाख से अधिक की आबादी इस गर्मी में भीषण जल संकट का सामना कर रही। जलस्तर 400 फीट नीचे चला गया है। चापाकल सूख चुके हैं। प्रशासन टैंकर से पानी पहुंच रहा, जो नाकाफी है। क्योंकि इसके लिए एक प्रखंड में सिर्फ दो ही टैंकरों की व्यवस्था है। एक बाल्टी पानी के लिए लोगों को लंबी लाइन लगानी पड़ रही।
मुरौल से बूढ़ी गंडक व जमुआरी तो सकरा से होकर नून, कदाने और मन नदियां गुजरती हैं।
भीषण गर्मी के चलते ये नदियां लगभग सूख चुकी हैं। सरकारी व निजी चापाकल भी पानी नहीं दे रहे। इसके चलते दोनों प्रखंडों की लगभग 20 पंचायतें भारी जलसंकट से जूझ रहीं। मुरौल प्रखंड कार्यालय में लगे तीनों चापाकल सूख गए हैं। कर्मियों को बाहर से पानी लाना पड़ रहा। इस प्रखंड की सभी नौ पंचायतों की तकरीबन एक लाख की आबादी में पानी के लिए हाहाकार मचा है। यहां के लौतन गांव के लोग सुबह ही पानी के लिए हाथों में बाल्टी लेकर टैंकर आने वाले स्थान की ओर जाते दिख जाते हैं।
1987 के बाद पहली बार चार माह से सूखा पड़ा है मन
इसी प्रखंड के जहांगीरपुर गांव के अनिल कुमार मुरौल-टुटलहवा बांध का मन दिखाते हैं। इसका पानी सूखने से इसमें दरारें पड़ गई हैं। वह बताते हैं कि 1987 के बाद पहली बार यह मन चार माह से सूखा पड़ा है। बूढ़ी गंडक नदी के किनारे ऐसे कई गांव हैं, जहां की स्थिति ऐसी ही है। सभी तालाब सूख चुके हैं। पानी का स्तर इतना नीचे चला गया है कि चापाकल जवाब दे चुके हैं। मोटर भी पानी नहीं खींच पा रहे। कुछ लोग पानी की आस में मोटरों को कुएं के समान गड्ढा खोदकर उसमें लगा रहे।
पानी के लिए बारी का इंतजार
मुरौल प्रखंड की विशुनपुर बखरी पंचायत की मुखिया सुधाश्री कहती हैं कि वसंतपुर बखरी, कुशवाहा टोला, यादव टोला और द्वारिकापुर में स्थिति ज्यादा गंभीर है। लौतन गांव के मेहरचंद पंडित की पत्नी कौशल्या देवी कहती हैं-'बूंद-बूंद पानी ला हम सब बेहाल छी। प्राण निकल जईत त पानी मिलिए के का होईत। इस गांव में प्रमुख के दरवाजे पर सबमर्सिबल पंप लगा है। यहां पानी के लिए लोग बारी का इंतजार करते हैं। लौतन के राहुल कुमार, मालपुर अगरैल के संजीव कुमार यादव, जगदीश राय, महम्मदपुर बदल के पैक्स अध्यक्ष गिरीश कुमार और बलुआ के सुधीर कुमार कहते हैं, ऐसी स्थिति पहली बार देखी है।
टैंकर आने पर मारपीट की नौबत टैंकर से पानी आता है तो मारपीट की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। बुधवार को मुरौल के लौतन गांव में टैंकर से पानी पहुंचा तो पहले पाने के लिए लोग आपस में झगडऩे लगे। प्रखंड प्रमुख मनोज कुमार राय स्वयं पहुंचे और पानी का वितरण किया। इस प्रखंड में सिर्फ दो टैंकरों से पानी पहुंच रहा। इसके चलते लोगों को सिर्फ पीने और खाना बनाने के लिए पानी मिल पा रहा।
ब्लॉक पंचायत राज पदाधिकारी अभय कुमार ने बताया कि 122 वार्डों वाले मुरौल प्रखंड के 36 वार्डों में किसी तरह लोग अपनी प्यास बुझा रहे। 19 वार्ड लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के भरोसे हैं। नल-जल योजना के लिए 8.58 करोड़ की राशि आई है। यह नाकाफी है।
बीडीओ ने कहा- समस्यान से प्रभावित जगहों से समस्याय किया जाएगा दूर
मुरौल के बीडीओ जितेंद्र कुमार राम ने कहा कि बैठक में जल संकट के बारे में जानकारी ली है। अभी वैसी भयावह स्थिति नहीं है। नल-जल योजना से पानी घरों तक पहुंच रहा है। जहां समस्या है, उसे दूर किया जाएगा।
प्रखंड प्रमुख ने कहा- भीषण जल संकट से जूझ रहे लोग
मुरौल प्रखंड प्रमुख मनोज कुमार राय ने कहा कि प्रखंड में एक लाख से अधिक की आबादी के लिए महज दो टैंकरों से पानी की आपूर्ति हो रही। लोग भीषण जलसंकट से जूझ रहे। शासन-प्रशासन ने अविलंब कारगर कदम नहीं उठाया तो लोग अकाल से मरने को विवश होंगे।
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