कालाजार उन्मूलन अभियान की जमीनी हकीकत देखने पहुंची केंद्रीय टीम, रिपोर्ट में मिली लापरवाही
मुरौल की रिपोर्ट पर केंद्रीय टीम ने उठाए सवाल। दी चेतावनी। हर माह संदेहास्पद मरीज की पहचान करने की जरूरत। पारू में मिले सबसे ज्यादा मरीज तो मुरौल में कम।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। कालाजार उन्मूलन अभियान की जमीनी हकीकत देखने पहुंचे केंद्रीय टीम के सदस्य ने मुरौल की रिपोर्टिंग पर सवाल उठाते हुए चेतावनी दी है। ग्राउंड रिपोर्ट की समीक्षा के बाद यह बात सामने आई कि मुरौल से जो रिपोर्ट है उसको सही नहीं माना जा सकता। हर माह संदेहास्पद मरीज की पहचान व इलाज करने की जरूरत है। अगर इसी तरह से टेबल रिपोर्टिंग होगी तो आने वाले दिनों में स्थिति भयावह होगी। समीक्षा में यह पाया गया कि इस साल पूरे जिले में 89 मरीज मिले हैं। इसमें पारू में 19 तो मुरौल में एक मरीज मिलने की रिपोर्ट है। अभी का महीना कालाजार को फैलाने वाला माना जाता है।
नेशनल वेक्टर वर्न कंट्रोल कार्यक्रम के अधिकारी डॉ. अभिषेक मिश्रा ने जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ.सतीश कुमार के साथ कालाजार की रिपोर्टिंग की समीक्षा की। उन्होंने संवेदनशील प्रखंडों में चल रहे कालाजार छिड़काव की जानकारी ली। डॉ.मिश्रा ने कहा कि मुरौल से कम केस आ रहे हैं तो सर्च अभियान बढ़ाया जाए। संदेहास्पद मरीज की सही तरीके से खोज की जाए। विभाग की ओर से पांच संवेदनशील प्रखंड घोषित किए गए हैं। इनमें पारू, साहेबगंज, मोतीपुर, बोचहां व बंदरा शामिल हैं। इन सभी प्रखंडों में कालाजार उन्मूलन के लिए दवा का छिड़काव चल रहा है। बहरहाल केंद्रीय टीम के पहुंचने से अधिकारियों व कर्मचारियों में हड़कंप रहा।
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