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रैली के पहले दिन दौड़ में सफल हुए 182 अभ्यर्थी

मुजफ्फरपुर : चक्कर मैदान में आयोजित सेना भर्ती रैली के पहले दिन गुरुवार की दौड़ में 2708 अभ्यर्थियों

By Edited By: Published: Fri, 05 Feb 2016 02:05 AM (IST)Updated: Fri, 05 Feb 2016 02:05 AM (IST)
रैली के पहले दिन दौड़ में सफल हुए 182 अभ्यर्थी

मुजफ्फरपुर : चक्कर मैदान में आयोजित सेना भर्ती रैली के पहले दिन गुरुवार की दौड़ में 2708 अभ्यर्थियों में से 182 मेडिकल जांच के लिए सफल हुए। इसमें पश्चिम चंपारण जिले के सोल्जर क्लर्क एसकेटी एवं सोल्जर टेक्नीकल व मुजफ्फरपुर जिले के सोल्जर टेक्नीकल के अभ्यर्थी शामिल हुए। इस पद के लिए दोनों जिलों से 3310 अभ्यर्थियों ने ऑनलाइन आवेदन किया था। दूसरे दिन शुक्रवार को भी पश्चिम चंपारण के अभ्यर्थियों के लिए दौड़ का आयोजन होगा। इसमें सोल्जर जीडी एवं सोल्जर ट्रेड्समैन के अभ्यर्थी भाग लेंगे।

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आधी रात के बाद से ही प्रवेश

रैली में भाग लेने के लिए बुधवार को दोपहर बाद से ही अभ्यर्थियों की भीड़ चक्कर मैदान के आसपास जुटने लगी थी। आधी रात के बाद लगभग दो बजे से ही डीआइजी आवास के सामने बने इंट्री प्वाइंट से इन्हें मैदान में प्रवेश दिलाया गया। एडमिट कार्ड की जांच के बाद उन्हें मार्शलिंग एरिया में ले जाया गया, जहां से कई ग्रुपों में बांटकर उन्हें दौड़ में भाग लेने के लिए भेजा गया।

पहले ही चक्र में कई हांफे, कई गिरे

मैदान में उत्साह के साथ उतरे युवकों में अधिकांश पहले ही चक्र में हांफ कर बाहर हो गए। अंतिम चक्र आते-आते इनकी संख्या बस गिनती के लायक ही रह जाती थी। कई तो रैली लाइन में ही गिर गए, लेकिन इनकी परवाह नहीं करते हुए अन्य अभ्यर्थी दौड़ लगाते रहे।

सीसीटीवी में हर पल की गतिविधि

प्रवेश द्वार से लेकर हर महत्वपूर्ण स्थानों पर लगे सीसीटीवी कैमरे में हर पल की गतिविधि कैद होती रही। नियंत्रण कक्ष में लगे मॉनीटर से इसकी निगरानी की जा रही थी।

बाहर किए गए अभ्यर्थियों का प्रदर्शन

सेना में भर्ती होने के लिए आए पश्चिमी चंपारण जिले के अभ्यर्थियों ने रात को डीएम आवास और समाहरणालय के समक्ष प्रदर्शन किया। डीएम ने जांच कराने का आश्वासन दिया तो वे शांत हुए। अभ्यर्थियों का कहना था कि शारीरिक जांच पास करने के बाद प्रमाणपत्रों की जांच के क्रम में कुछ छात्र इंटर के मूल प्रमाणपत्र नहीं दिखा पाए। उन्होंने बताया कि बोर्ड से ही 2011 व 12 के इंटर का प्रमाणपत्र निर्गत नहीं किया गया है। इस संबंध में संबंधित प्रधानाचार्य का प्रमाणपत्र भी दिखाया, लेकिन सेना के अधिकारियों ने इसे मानने से इंकार कर दिया और अभ्यार्थियों को वहां से निकाल दिया।


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