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जिधर जाओ उधर गड्ढे, घर से निकलना भी हुआ दुश्वार

संवाद सहयोगी, मुंगेर : शहर में सीवरेज योजना वरदान के बजाय अब अभिशाप साबित हो रही है। मुंगेर में सीवर

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 Aug 2022 06:08 PM (IST)Updated: Tue, 23 Aug 2022 06:08 PM (IST)
जिधर जाओ उधर गड्ढे, घर से निकलना भी हुआ दुश्वार
जिधर जाओ उधर गड्ढे, घर से निकलना भी हुआ दुश्वार

संवाद सहयोगी, मुंगेर : शहर में सीवरेज योजना वरदान के बजाय अब अभिशाप साबित हो रही है। मुंगेर में सीवरेज के काम करने वाले ठेकेदार व अभियंताओं के बे लगाम होने का खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। हाल यह यह है कि सीवरेज पाइप डालने वाली कंपनियां पाइप डालने के बाद लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया है। इस स्थिति में लोगों को गलियों में पैदल चलना भी मुश्किल हो रहा है। इस स्थिति में लोगों का गुस्सा कभी भी इन कंपनियों के साथ ही जल निगम के अभियंताओं के खिलाफ फूट सकता है।दरअसल, नमामि गंगे परियोजना के तहत सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण किया जा रहा है। प्लांट के निर्माण होने से गंगा नदी में घरों से निकलने वाला पानी साफ होकर गिरेगा।

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प्लांट के निर्माण पर 250 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है। इसके लिए शहर का शाहजुबैर रोड, पूरबसराय, कमेला रोड, माधोपुर, वासदेवुपर, नयागांव, श्यामपुर, चंडीकास्थान, लालदरवाजा, हजरतगंज, मकससपुर, विदवारा, लल्लू पोखर, चंदनबाग, गुलजार पोखर, छोटी केलाबाड़ी, तोपखाना बाजार, दिलावरपुर, मु़र्गियाचक, रिफ्यूजी कालनी सहित अन्य इलाके में जगह-जगह गड्ढे खोदकर पाइप लाइन बिछाई गई है। कंपनी ने पाइप लाइन डालने के बावजदू भी न तो गड्ढों को पूरी तरह से भरा है तथा न ही सड़क पर लगे बेरिकेडिग को हटाया है।

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जानिए लोगों का दर्द

मुर्गियाचक के मु. इकराम, पप्पू, राहुल कुमार, शाहजुबैर रोड के महेश प्रसाद, पकंज कुमार ने बताया इन गड्ढों के कारण हर दिन लोग हादसे का शिकार हो रहें है। वाहन तो दूर पैदल चलना मुश्किल हो रहा है। लोगो ने जिला पशासन से काय कर रहें एजेंसी से सड़क मरम्मत कराने की दिशा में पहल करने की अपील की है। तोड़ी गई सड़क को दुरुस्त नहीं किया गया है।

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जानिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को

घरेलू अपशिष्ट पानी या शौचालय का पानी का शोधन कर इसके जरिए दूषित पदार्थ की हटाने की प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया से घर के गंदे पानी को रिसाइकलिग कर सिचाई आदि के कामों में लाया जाएगा। इससे किसानों को सिचाई के लिए केवल वर्षा जल पर ही निर्भर रहना नहीं पड़ेगा।


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