तमाम प्रयास के बाद भी नहीं बदली कारखाना व इरमी की सूरत
मुंगेर । एशिया प्रसिद्ध रेल इंजन कारखाना को निर्माण काराखाना घोषित करने इरमी को विश्वविद्यालय
मुंगेर । एशिया प्रसिद्ध रेल इंजन कारखाना को निर्माण काराखाना घोषित करने इरमी को विश्वविद्यालय का दर्जा एवं एससीआरए के बंद कोर्स को चालू करवाने को लेकर वर्षो से हो रहे संघर्ष के बाद भी अब तक इस दिशा में केंद्र सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। दिलचस्प तो यह है कि इसे लेकर सीएम नीतीश कुमार भी पीएम नरेन्द्र मोदी से मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाने लेकर अनुरोध किया और और 2018 में पत्राचार किया। बावजूद केंद्र सरकार इस दिशा में अब तक गंभीर नहीं हुई है। सीएम के कहने पर पूर्व मंत्री शैलेश कुमार ने 2017 में इरमी, जिमखाना एवं कारखाना का निरीक्षण कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सारी बातों से अवगत था। इन्हीं के निरीक्षण को आधार बनाकर सीएम ने पीएम व रेल मंत्री को न सिर्फ पत्राचार किया बल्कि इस मामलें में व्यक्तिगत तौर पर मिलकर बातचीत कर इस इस पर गंभीरता पूर्वक विचार करने को कहा था।
जो भी हो एक बार फिर इरमी व कारखाना के मुद्दे को लेकर जमालपुर धधक रहा है। तमाम राजनीतिक, सामाजिक नेता कार्यकर्ता दलगत भावनाओं से ऊपर उठकर सड़क पर उतर कर संघर्ष कर रहे हैं। जमालपुर रेल निर्माण कारखाना संघर्ष मोर्चा पिछले 13 वर्षों से इसकी लड़ाई को गति दे रहे हैं। वही जमालपुर विकास मंच के द्वारा इस मुहिम को जन मुहिम बनाने को लेकर जो अभियान चलाया जा रहा है । इससे साफ जाहिर है कि जमालपुर के लोगों का अब एक ही सपना है इरमी को विश्वविद्यालय बनाने का और कारखाने को निर्माण इकाई का दर्जा दिलाने का । यदि ऐसा नहीं हुआ तो जमलपुर के लोग ऐतहासिक संघर्ष के लिए अग्रसर होंगे।